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याद भस्मासुर की

  • kewal sethi
  • Mar 24, 2023
  • 2 min read

याद भस्मासुर की


मित्रवर पर सकट भारी, बना कुछ ऐसा योग

जेल जाना पड़े] ऐसा लगाता था उन्हें संयोग

कौन सफल राजनेता कब जेलों से डरता हैं

हर जेल यात्रा से वह एक सीढ़ी चढ़ता है।

लेकिन यह नया फैसला तो है बहुत अजीब

जेल हुई तो सदस्यता गई यह भी कोई चीज़

अब तो लगाना चाहिये कोई ऐसा सा तिकड़म

सज़ा हो तो हो पर सदस्यता बनी रहे हर दम

ज़मानत पा कर जब भी आयें गे हम बाहर

लोक सभा कर रही हो गी अपना इंतज़ार

अपने दोस्त बैठे हैं हकूमत में सरताज

डूॅंढ ही लें गे वह कोई इस का इलाज

और सच में हकूमत ने सब देखा भाला

एक आर्डिनैस कर दे सब कुछ पूर्व वाला

नहीं हो गी सदस्यता भंग जब चाहे न सरकार

अदालत के फैसले का वैसे करते हम सम्मान

पर हकूमत को रहा नहीं एक बात का ध्यान

युवराज से नहीं पूछा उन्हों ने ऐसे थे नादान

जनता खुश थी सुन कर अदालत का आदेश

सज़ायाफता निपटें गे, मिटे गा सारा क्लेश

युवराज को किसी मुसाहिब ने था समझाया

छा जाने का जनता पर अच्छा मौका आया

युवराज अचानक प्रैस सम्मेलन में था आया

आर्डिनैस के टुकड़े कर सब को चौंकाया

भौचके रह गये सभी वार्ता में आये पत्रकार

जनता ने भी की जी कर जय जय कार

अपराधियों को अब न बखशा जाये गा

हर पापी अपने किये की सज़ा पाये गा

समय बीत गया ओर भूल गये सब यह बात

अपने ढर्रे पर चलता रहा सरकार का कारोबार


पर आया अचानक याद आर्डिनैस का फाड़ना

जब युवराज को पड़ा अपना स्थान गंवाना

करते अब अफसोस क्या थी मन में समाई

क्येां अच्छी भली में थी अपनी टॉंग अड़ाई

उस समय जल्दबाज़ी का फल मिला है आज

अपने सिर पर हाथ रख भस्म भये युवराज

सदस्यता गई अब कैसे दें वह मोदी को दोष

अदालत पर पूरा भरोसा कैसे बोलें ऐसे बोल

दूसरों के लिये गड्ढे को लेते हैं जो खोद

कहें कक्कू कवि गिरे उसी में इक रोज़

(24 मार्च 2023)

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