बताईये
- kewal sethi
- Sep 12
- 1 min read
बताईये
एक बात मुझे आप को है आज बतानी
मेरे लिये अहम है आप के लिये बेमानी
कालेज में एक लड़की, भला सा है नाम
देखती रहती हे मेरी तरफ बिना विराम
जाने कब उस ने मुझे समझा इस काबिल
दे दी मुझे वह चीज़ जिसे कहती वह दिल
कहती र्है कि उस को न आता है करार
लुटा दिया है उस ने मुझ पर इतना प्यार
बताती है उसे रात भर नींद नहीं आती
याद वह मेंरी इस तरह है उसे तड़पाती
वह मेरे आगे पीछे लगाती है ऐसे चक्कर
जैसे वह हो ईडी अफसर और मैं तस्कर
न देखती कि किस मूड में हूं मैं खड़ा
उसे तो बस जाने कैसा नशा है चढ़ा
कभी वह मांगती है लिफ्ट मेरी कार में
कभी लेना चाहती है पुस्तकें उधार में
गरज़ घेर रखा उस में मुझे चारों ओर से
सोचता हूं जाऊं क्या मैं कालेज छोड़ के
कक्कू कवि का सवाल है किधर जाऊं
किस तरह मैं अब उस से पीछा छड़ाऊं
Comments