पहचान
- kewal sethi
- 23 minutes ago
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पहचान
- तुम्हें मालूम है, तुम्हें थाने क्यों बुलाया गया है?
- आप बताईये। मुझे तो मालूम नहीं।
- दिखते तो हो सीखिया पहलवान पर चार चार व्यक्तियों को तुम ने चोट पहॅंचाई है।
- मैं ने ऐसा कुछ नहीं किया।
- इन को पहचानते हो।
- हॉं, ये रास्ते में मुझे रोक कर पैसे मांग रहे थे।
- क्यों?
- मैने पूछा था तो इन्हों ने कहा मस्ती करने के लिये।
- फिर?
- मैं ने मना कर दिया तो यह कहें हम ज़बरदस्ती भी कर सकते हैं।
- तो तुम ने इन की पिटाई कर दी?
- जी नहीं। उलटे यह मेरी पिटाई करना चाहते थे।
- पर चोट तो इन को आई।
- हॉं, वह ऐसा हुआ कि इन्हों ने थप्पड़ माने के लिये हाथ उठाया। मैं ने उस का हाथ रोक दिया। अब इन्हें थप्पड़ मारना ही न आये तो मैं क्या कर सकता हूॅं। मैं ने रोका तो इन के हाथ में चोट लग गई। इस में मैं क्या कर सकता हूॅं।
- और यह दूसरे को क्या हुआ।
- इस ने गरदन पकड़ना चाही पर चूक गया और गिरने से चोट लग गई। आखिर गरदन पकड़ने का तरीका भी तो आना चाहिये न।
- और बाकी दो भी जो करना चाहते थे, उस का ज्ञान नहीं था इस लिये घायल हो गये।
- जी
- सीख्यिा पहलवान, यह हुआ कैसे। क्या तरीका है तुम्हारा।
- वह ऐसा है कि पिता जी ने भरती करा दिया जूडो स्कूल में। मैं ने मना तो किया पर वह कहॉं मानने वाले थे। तब तक पीछे पड़े रहे जब तक ब्लैक बैल्ट नहीं मिल गई।
- अच्छा, तो यह बात है ब्लैक बैल्टधारी हो जूडो में।
- जी
- और अब तुम लोगो का क्या कहना है पिटने वालो।
1. जी, इसे पहले ही बता देना था कि यह जूडो एक्सपर्ट हैं।
2. बिलकुल, तब हम पंगा ही नहीं लेते।
3. और इस ने ब्लैक बैल्ट भी नहीं लगाई थी। हमें कैसे पता चलता।
4. इस ने अपनी पहचान छिपाई और हमें धोका दिया।
- हॉं, पहचान छिपा कर धोका देना तो बहुत संगीन जुर्म है।
- इस में मैं क्या कर सकता हूॅं। पूछते तो बता देता।
- यह नहीं चले गा। तुम्हें पहचान छिपा कर धोका देने के इलज़ाम में दफा 319 भारतीय न्याय संहिता में गिरफतार किया जाता है।
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