top of page

खुश फहमी

  • kewal sethi
  • Nov 5
  • 1 min read

खुश फहमी

- यह क्या बदतमीज़ी है। हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी यह करने की - लड़की ने रोष भरे शब्दों में कहा।

- क्या हो गया, मिस?

- तुम मुझे ऐसा खत लिखो गे, मैं ने सोचा भी नहीं था।

- कौन सा खत? मैं ने कोई खत नहीं लिखा।

- तुम्हारा नाम राजेश है न?

- बिल्कुल

- और तुम कहते हो, तुम ने खत नहीं लिखा।

- कहा क्या गया है इस खत में

- मेरी बुलबुल

- तो यह खत किसी और के नाम का हो गा। तुम्हारे लिये नहीं हो सकता। तुम बुलबुल तो नहीं हो सकती।

- मतलब?

- तुम्हारा नाम तो कर्कषा या ऐसा कुछ होना चाहिये।

- नाम तो मेरा शशि है पर पापा मुझे बुलबुल कहते हैं।

- ऊॅंचा सुनते हैं क्या?

- फिर वही बदतमीज़ी। खबरदार जो मेरे पापा के बारे में कुछ कहा।

- सॉरी। मेरी इतनी हिम्मत कहॉं जो मैं पापा के या तुम्हारे बारे में कुछ कहूॅं।

- तो तुम ने यह खत नहीं लिखा।

- मैं तुम्हें जानता भी नहीं तो खत कैसे और क्यों लिखूॅं गा।

- जानते कैसे नहीं। तुम्हारी कलास में तो हूॅं। फ्रंट बैंच पर बैठती हूॅ।

- देखा तो है पर जानना अलग बात है।

- उस के लिये खत लिखना पड़ता है?

- फिर वही खत

- एक बात कहूॅं?

- पहले क्या पूछ कर कही थी जो अब पूछ रही हो।

- अपना हैण्डरोईटिंग सुधारो। कुछ समझ में नहीं आया, क्या लिखा है।

- सिवाये नाम के

- वह भी अन्दाज़ से।

Recent Posts

See All
गायक

गायक वह उस घर में एक गरीब रिश्तेदार की तरह रहता था। क्यों? इस की भी एक कहानी है पर वह फिर कभी। अभी तो अब की बात करें। घर के किसी सदस्य को उस से हमदर्दी नहीं थी। उस से हर बेगार का काम लिया जाता था और ब

 
 
 
लाल बत्ती

लाल बत्ती भारत स्वतन्त्र तो काफी देर से हो गया है पर हम सामन्तवाद से मुिक्त नहीं पा सके। सामन्तवाद की विशेषता थी कि हर व्यक्ति का स्थान एवं क्रम निश्चित था। यह कई चिन्हों के माध्यम से प्रकट होता था। य

 
 
 
एक शाम साथ में

एक शाम साथ में (इस बार मेरे पास इस लेख की तारीख है। यह 4.12.1965 है, बहुत समय पहले) 1 चौराहे पर पहुँचकर वह थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन उसे ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई। धीरे से उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा औ

 
 
 

Comments


bottom of page