भूल ही तो है
- kewal sethi
- 24 minutes ago
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भूल ही तो है
सुनो जी, जिस ढाबे पर हम ने खाना खाया था .....
बिल्कुल, बहुत बढ़िया खाना था।
मैं खाने की बात नहीं कर रही।
हॉं हां, उस का गुलाब जामुन भी बहुत स्वादिष्ट था।
मैं गुलाबजामुन की बात नहीं कर रही।
लौटती बार भी वहीं रुकें गे। े
अपनी ही कहते जाओं कि मेरी भी सुनो गे
सारी उम्र तुम्हारी ही तां सुनता आया हूं। बोलो।
मेरा पर्स वहॉं रह गया हैं
क्या कहा, पर्स रह गया है। पहले क्यों नहीं बतायां
बोलने दो तो बताउॅं न
हे प्रभु, अब दस बारह मील वापस जाना पड़े गा। कितना पैसा था उस में।
ज्यादा नहीं था।
तो रहने दें उस कोे
पर मेरा आई डी कार्ड भी तो उसी में है।
पता नहीं कैसे तुम भूल जराती हो इतनी खास चीज़ को।
जल्दी तो तुम्हीं मचा रहे थे।
यह थोड़ा कहा था कि अपनी चीज़ वहॉं भूल जाओं।
मंज़िल तक पहुॅंचना है नए इस लिये
पर हाय तौबा क्यों मचा रहे थे
पर तुम्हारे लिये चीज़ें भूलना कोई नई बात नहीं हैं
क्यों?
होता ही रहता है तुम्हारे साथं। कभी कुछ कभ्ीी कुछ।
अरे अब बात ही करों गे कि गाउ़ी मोड़ों गे भी
माड़ तो रहा हूॅं। और कया कर रहा हूॅं।
ज़रा तेज़ चलाओ न। इधर उधर न हो जाये।
जो होना है वह तो हो गा ही। भुगतो अब।
खेैर ढाबे तक पहुॅंच गयें।
लो अब आ गयें ढाबा। जा कर पूछ लो। ं किस्मत हुई तो मिल जाये गा। नहीं तो।
जा तो रही हूॅ।
ठहरोख् ज़रा सुनो
अब क्या है?
अब जा ही रही हो तो मेरा चष्मा भी पूछती आनां। मीनू देखने के लिये निकाला थां, वहीं रह गया हो गा।
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