top of page
  • kewal sethi

odd even ka chakkar

odd even ka chakkar


यह छोटे छोटे रस्ते, यह बड़ी बड़ी सी कारें

हैरान थी हमारी दिल्ली, कैसे इन्हें सम्भाले

कूॅंदा विचार अतुल्य केजरीवाल के मन में

आधी कर दें कारों की संख्या तो बात जमें

कर दिया अचानक आड ईवन का एहलान

भौंचक्के रह गये सभी यह कैसा हुआ निदान

लगे सोचने हो गा क्या इस का जीवन पर असर

इस को, उस को, इस बंदिश से निकाला बाहर

दिन आया शुरू करने का, सब थे घबराये

जाने कौन इस में फंस कर ही रह जाये

यह आड ईवन का चक्कर, जाना जो हो बाहर

सोचते हैं कि आज इस्तेमाल कौन सी कार

खैर दिन गुज़र गया हुआ न कोई बवाल

चालान तो हुए पर नहीं आया कोई भूचाल

दिन पंद्रह की बात है सब का था विचार

किसी तरह से कर ले गे इस को भी पार

दावा है सरकार का कि सफल रहा तजरबा

बढ़ गया है इसी से मुख्य मन्त्री का रुतबा

इतिहास में आगे इन्हीं का हो गा जब जि़कर

निजात प्रदूशण से दिला दी ब्याॅं करे गा हर बशर

मोदी बेचारा भी कुछ निकाल सका न बहाना

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस को खुले मन से सराहा

सरकार खुश है उस ने इस इम्तिहाॅं से पार पाया

राहत है दिल्ली को कि इसे आगे नहीं बढ़ाया

इस तरह ही घिसटते हुए चलती है दिल्ली हमारी

सालों से है यही खसियत तो है इस की प्यारी

25 जनवरी 2016

1 view

Recent Posts

See All

याद भस्मासुर की मित्रवर पर सकट भारी, बना कुछ ऐसा योग जेल जाना पड़े] ऐसा लगाता था उन्हें संयोग कौन सफल राजनेता कब जेलों से डरता हैं हर जेल यात्रा से वह एक सीढ़ी चढ़ता है। लेकिन यह नया फैसला तो है बहुत अजी

लंगड़ का मरना (श्री लाल शुक्ल ने एक उपन्यास लिखा था -राग दरबारी। इस में एक पात्र था लंगड़। एक गरीब किसान जिस ने तहसील कार्यालय में नकल का आवेदन लगाया था। रिश्वत न देने के कारण नकल नहीं मिली, बस पेशियाँ

अदानी अदानी हिण्डनबर्ग ने अब यह क्या ज़ुल्म ढाया जो था खुला राज़ वह सब को बताया जानते हैं सभी बोगस कमपनियाॅं का खेल नार्म है यह व्यापार का चाहे जहाॅं तू देख टैक्स बचाने के लिये कई देश रहते तैयार देते हर

bottom of page