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  • kewal sethi

शब्द

“when i use a word”; humpty dumpty said, in rather a scornful tone; “it means just what i choose it to mean—neither more nor less”.”the question is”, said alice, “whether you can make words mean so many different thing”. “the question is”, said humpty dumpty, “which is to be master—that is all.”


शब्द


सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ

इस दौर में बदल गये हैं अर्थ और भाव


गुनाह है अगर मरने वाला आम शख्स है

दुश्मन को मारें तो देष के प्रति फर्ज़ है

मोमिन को मारें तो हकदार है अज़ाब का

काफिर को मारें तो काम है यह सवाब का

मरने वाला आदमी है इसे भूल जाओ

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ


बाण बाण था पर रामबाण कुछ और था

शंख ध्वनि शक्ति थी न कि केवल शोर था

देखें तो शब्द शक्ति ही रहा है सदा सदा

राजा के शब्द शब्द न थे थी वह आज्ञा

शब्दों के भ्रमजाल में तुम फंस न जाओं

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ


अब भी शब्द शक्ति हैं सदैव की भांति

इन्हीं में निहित है विद्रोह, इन्हीं में क्रांति

शब्द जाल अब अत्यन्त विस्तृत हो गया है

अर्थ बदल गए हैं, शब्द परिष्कृत हो गया है

नये अर्थों को समझो, सब को बताओ

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ


धर्म निरपेक्षता शब्द नहीं है, अब एक नीति है

एक कहे तो पवित्र, दूसरा कहे तो अनीति है

आतंकवाद कब जिहाद हो जाये क्या मालूम

हम मारें तो धर्म युद्ध, वह मारें तो हम मासूम

एक नई दष्टि से देखो तो समझ पाओ

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ


ईमानदारी अब सिर्फ ईमान तो नहीं है

हथियार है यह अनूठा, बेजान नहीं है

जांच अब तथ्य जानने का तरीका नहीं है

इन्साफ कोई सच झूट का फैसला नहीं है

हाकिम वक्त को जचे वही राह अपनाओं

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ


क्या अंधे को सूरदास कहने से वह देख पाता है

दिव्याॅंग कहने से क्या वह बिन पैर चल पाता है

दलित कहलाने में जो इक अनोखा गर्व पाता है।

क्या आम आदमी की तरह वह भी जी पाता है

चलन है नये तरीके सीखों नया नाम पाओ

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ

समय पर चुनाव ही है प्रजातंत्र की परिभाषा

सेंसैक्स के उछाल से आर्थिक प्रगति को जाॅंचा

न सज़ा का डर, न बदनामी का, यही सपना

अपराधी तो बस चाहते कानून करे काम अपना

महफूज़ हैं जब तलक तुम ऐष मनाओ

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ


प्रतिवेदन वही अच्छा है जो बात को घुमा दे

भाषण वही सुन्दर है जो सब को बहला दे

शब्द के माया जाल से ना कोई बच पाया

कोशिश की गर तो और शब्दों ने उलझाया

शब्दों के बदलते अर्थों से बच न पाओ

सुनो समझो परन्तु शब्दों पर मत जाओ


शब्दो के समूह को अब कविता नाम दिया है

इस ने सब कवियों को बड़ा ही आराम दिया है

कलिरष्ठ शब्द चुन चुन कर पन्ना पूरा भर लिया है।

पाठक की खुदा जाने, अपना फर्ज़ अदा किया हैं

कहें कक्कू कवि तुम भी यह तरीका अपनाओ

सुनो समझो लेकिन शब्दों पर मत जाओ


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