बुरी नज़र वाले, तेरा मुॅंह काला
- kewal sethi
- Jul 10
- 3 min read
Updated: Jul 12
साक्षात्कार
पत्रकार - आज आप से एक गम्भीर विषय पर कुछ जानकारी प्राप्त करना चाहता हूॅं। आशा है कि आप अनुग्रहित करें गे।
ंनेता - पत्रकारों से बात कर मुझे हमेशा प्रसन्नता होती है। इसी से हम समाचार में बने रहते हैं।
पत्रकार - पर आज का विषय कुछ अलग है जिस में प्रशंसा की गुंजाईश नहीं है। आप ने सुना हो गा कि झारख्ण्ड मे तीन लोागें की हत्या कर दी गई क्योंकि उन के द्वारा काला जादू करने का शक था।
नेता - हॉं, यह बहुत दुखद घटना है। हम इस की घोर निन्दा करते है।ं
पत्रकार - पर यह हुआ कैसे?
नेता - मोदी राज में ऐसी घटनायें अनापेक्षित नहीं हैं।
प - मैं आप को याद दिला दूॅं कि यह घटना झारखण्ड की है, जहॉं मोदी राज नहीं है।
न - पर पड़ोस के राज्य में तो है। हम उसे वहॉं भी खत्म करना चाहते हैं।
प - यह आज का विषय नहीं है। आप का क्या ख्याल है, आज़ादी के 77 साल बाद भी ऐसी घटनायें क्यों होती हैं।
न - देखिये, यह तो सदियों से चली आ रही हैं। इस को समाप्त करने में समय तो लगे गा।
प - कितना समय आप के विचार में सही हो गा।
न - बात समय की नहीं, नियत की हैं। हम ने तो 42वें संशोधन में साफ साफ लिख दिया था कि नागरिक के क्या कर्तव्य है। कहा है — हमें वैज्ञानिक ढंग से सोचना है, मानवता का ध्यान रखना है, सुधार का वातावरण बनाना है, जो हर नगरिक का कर्तव्य है।
प - वह तो सही है पर इसे लागू कैसे करना है।
न - हम ने कह दिया है कि हर नागरिक का यह कर्तव्य है। बाकी काम तो नागरिक को करना है।
प - क्या आप के विचार में इसे शिक्षा के माध्यम से किया जा सकता हें
न - देखिये, शिक्षा का इस से कुछ लेना देना नहीं हे। वह अपनी जगह है। यह अपनी जगह।
प - पर शिक्षा से वैज्ञानिक दृष्टिकोण तो सिखाया जा सकता है।
न् - बिल्कुल। हम ने कैमिस्टरी के सारे फारमूले सिखाने का बन्दोबस्त किया है। सिलेबस में यह सब है। न्यूटन के सिद्धॉंत और रिफ्लेकशन, रिफ्रैकशन सब इस में हैं।
प — पर अंधविश्वास के बारे में कुछ नहीें हैं।
न - देखिये, हमारी शुरू से नीति रही हे कि हम आदिवासियों के रीतिे रिवाज में दखल नहीं दें गे। नहेरू जी ने एल्विन के सिद्धॉंतों को अपनाते हुये इस का निर्णय लिया था और आदिवासी पंचशील को इस बारे में नीति रूप में तय किया था। हम हमेशा से इस पर कायम रहे हैं।
प - और इस में अंधविश्वास भी शामिल है।
न - यह फैसला वह ही करें गे।
प - पर यह शिक्षा से नहीं हो गा। ,
न - देखिये, आप फिर शिक्षा को बीच में ले आये। वह अपनी जगह है, रीति रिवाज अपनी जगह।
प - तो शिक्षा किस के लिये है।
न - खेद है कि आप इतनी सी बात भी नहीं ससझते। शिक्षा नौकरी पाने का एक तरीका है। एक सीढ़ी है जिस पर चढ़ कर नौकरी तक जाना है। और हम तब तक इस के लिये लड़ते रहें गे जब तक सब दलित भाईयों को नौकरी नहीं मिल जाती।
प - आप दलित को बीच में ले आये। बात तो आदिवासियों की हो रही है।
न - दोनों हमारे वोट बैंक हैं, उन्हें हम अलग अलग कर के नहीं देख सकते।
प - अंतिम प्रश्न। इस घटना के बारे में आप का जनता के नाम क्या सन्देश है।
न् - वही जो हमेशा होता है। आप अपने में मस्त रहो और हमें भी मस्त रहने का अवसर देते रहो।
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