top of page
  • kewal sethi

संदेशवाहक

संदेशवाहक


यार बलदेव, तुम विद्या को जानते हो - रमेश ने कहा।

- उसे कौन नहीं जानता। ले दे कर कक्षा में दो ही तो लड़कियॉं हैं। और वह तो तुम्हारीे गर्लफ्रैण्ड है। तुम्हें पूछने की ज़रूरत क्यों आ पड़ी- बलदेव ने कहा।

- गर्लफ्रैण्ड थी, अब नहीं है।

- नई मिल गई क्या?

- नहीं, उस ने ही बायकाट कर दिया।

- होता रहता है। वह गाना है न - सुबह को झगड़े, शाम को मान गये।

- नहीं, इस बार मामला अधिक संगीन है।

- तो?

- ऐसा है कि उस की एक किताब मेरे पास है। उसे वापस करना है।

- इस में दिक्कत क्या है। चुपके से उस डैस्क पर रख दो, जहॉं वह बैठती है। किस्सा खत्म।

- और जो मेरी स्वैटर उस के पास है, उस का क्या?

- स्वैटर? अब यह कैसे हो गया।

- अरे ऊन मैं ने दी थी, वह तो उसे बुन रही थी। अब तक बुन चुकी हो गी।

- अब मेरा क्या रोल हो गा इस प्रेम कथा में या विरह कथा में। सीधे सीधे बोलो।

- तुम्हारी तो बोल चाल है उस से। बस किताब दो और स्वैटर मॉंग लो।

- और उस ने बुनने की मज़दूरी मॉंगी तो। मैं तो अपने पल्ले से देने से रहा।

- ऐसा वह नहीं करे गी।

- क्यों मामला इतना संगीन नहीं है क्या? अभी तो तुम इसे संगीन बता रहे थे।

- फिर तुम क्या सुझाते हो।

- जेब ढीला करो। साठ एक दे दो। जितने मॉंगे गी, उतना दे कर बाकी वापस।

- और अगर उस ने नहीं लिये तो?

- चाय के लिये बीस रख कर वापस ।

- आ गये अपने पर। यह उम्मीद नहीं थी तुम से। इतने सालों से मेरे जमायती हो।

- सब कुछ मुफ्त चाहते हो। स्वैटर भी।

- मजबूरी का नाम महात्मा गॉंधी। ठीक है।


और उस के बाद बलदेव ने विद्या से बात की। मौके का फायदा उठाया।

- विद्या, तुम से बात करनी है।

- कैसी बात?

- प्रेम की

- क्या, तुम भी?

- अपनी नहीं, रमेश की। अभी तक तड़प रहा है।

- कॉंप भी रहा हो गा। इस लिये स्वैटर मॉंगी है।

- हैं, तुम्हें पहले से ही पता है। केसे?

- इसी लिये तो तड़प रहा है। वरना मैं कौन और वह कौन। परले दर्जे का मक्कार।

- तुम ही उसे ठीक से जानती हो। मेरी इतनी जानकारी नहीं है।

- तो तुम्हें चुना है इस काम के लिये। क्यों?

- क्या पता? मैं तो बस दोस्ती के नाते आ गया।

- स्वैटर तो मैं दे दूॅगी। कोई प्राब्लम नहीं। पर एक बात है।

- क्या?

- उस से कहना कि जो होना था, सो हो गया। हॉं, एक बात और, तुम बहुत अच्छे सन्देशवाहक हो।

- शुक्रिया। अच्छे बुरे का नहीं पता। मैं तो केवल सन्देशवाहक हॅं। फिर जैसा तुम्हें लगे।

- तो मेरा भी सन्देश देना उसे। कहना कि मुझे नया ब्वासफ्रैण्ड मिल गया है।

- कौन है वह?

- जल्दी ही जान जाओ गे। स्वैटर के लिये मिलना।

- कब?

- परसों।


14 views

Recent Posts

See All

देर आये दुरुस्त आये

देर आये दुरुस्त आये जब मैं ने बी ए सैक्ण्ड डिविज़न में पास कर ली तो नौकरी के लिये घूमने लगा। नौकरी तो नहीं मिली पर छोकरी मिल गई। हुआ ऐसे कि उन दिनों नौकरी के लिये एम्पलायमैण्ट एक्सचेंज में नाम रजिस्टर

टक्कर

टक्कर $$ ये बात है पिछले दिन की। एक भाई साहब आये। उस ने दुकान के सामने अपने स्कूटर को रोंका। उस से नीचे उतरे और डिक्की खोल के कुछ निकालने वाले ही थे कि एक बड़ी सी काली कार आ कर उन के पैर से कुछ एकाध फु

प्रतीक्षा

प्रतीक्षा यॅू तो वह मेरे से दो एक साल छोटी थी पर हम एक ही कक्षा में थे। इस से आप यह अंदाज़ न लगायें कि मैंं नालायक था और एक ही कक्षा में दो एक साल रह कर अपनी नींव को पक्की करना चाहता था। शायद बाप के तब

bottom of page