top of page
  • kewal sethi

वार्तालाप

दो महिलाओं का वार्तालाप

क. तुम ने रेाका नहीं उसे

ख. अरे, बहुत रोका।

क. कुछ कह सुन का मना लेती।

ख. क्या मनाती। अनुनय विनय भी की। पर बे सूद।

क. इतने साल का साथ था, फिर भी।

ख. हॉं कितने साल हो गये। सुख दुख में, बीमारी में, त्येाहारों में साथ साथ रहे।

क. बच्चों की देख भाल भी किये।

ख. हॉं जी। बच्चे भी खुश थे।

क. ज़रूर कोई और आकर्षण रहा हो गा।

ख. वह तो हो गा ही वरना इस तरह से थोडे़ ही कोई निकल लेता है।

क. तो अब?

ख. अपना तो यही कहना है जहॉं रहे खुश रहे।

क. और तुम्हारा क्या हो गा?

ख. मेरा क्या होना है। काम वाली बाईयों की कमी थोड़े ही है। और मिल जाये गी।


17 views

Recent Posts

See All

देर आये दुरुस्त आये

देर आये दुरुस्त आये जब मैं ने बी ए सैक्ण्ड डिविज़न में पास कर ली तो नौकरी के लिये घूमने लगा। नौकरी तो नहीं मिली पर छोकरी मिल गई। हुआ ऐसे कि उन दिनों नौकरी के लिये एम्पलायमैण्ट एक्सचेंज में नाम रजिस्टर

टक्कर

टक्कर $$ ये बात है पिछले दिन की। एक भाई साहब आये। उस ने दुकान के सामने अपने स्कूटर को रोंका। उस से नीचे उतरे और डिक्की खोल के कुछ निकालने वाले ही थे कि एक बड़ी सी काली कार आ कर उन के पैर से कुछ एकाध फु

प्रतीक्षा

प्रतीक्षा यॅू तो वह मेरे से दो एक साल छोटी थी पर हम एक ही कक्षा में थे। इस से आप यह अंदाज़ न लगायें कि मैंं नालायक था और एक ही कक्षा में दो एक साल रह कर अपनी नींव को पक्की करना चाहता था। शायद बाप के तब

bottom of page