top of page

रावण लीला

  • kewal sethi
  • Jan 16, 2024
  • 2 min read

याद आ गई एक पुरानी सी। जब रामलीला की टिकट नहीं लगती थी। रावण का डायलाग बीच में काट कर ही घोषणा होती थी - भाई अमीर चन्द ने रावण के डायलाग से खुश हो कर उस दो रुपया इनाम की घोषणा की है।

रावण उस गायब अमीरचन्द को नमस्कार कर अपना डायलाग फिर से दौराहता था।


तो पेश है राम लीला शुरू होने से कुछ पूर्व की बात --

रावण लीला

- सुनो आज शाम को राम लीला पर चल रहे हो न

- शायद हॉं, शायद न। पर आज होना क्या है

- आज रावण अंगद का संवाद है।

- पैर जमाने की बात है।

- वह तो होना ही है। इसी में तो आनन्द है। क्या गज़ब के डायलाग थे पिछली बार।

- वह सिंधी बना था अंगद, बोला - सीता डेवनी हे कि नाईं।

- और रावण ने तो अपना डायलाग ठीक से ही बोला

- अंगद फिर बोला - साईं, पैर का डिगा दे तो मानूॅं, चला जाऊॅं, सीता छोड़ के।

- और वह — क्या नाम था - इन्द्रजीत - अपनी जगह से उठ ही नहीं पाया।

- उस का कुर्ता फंस गया था कुर्सी के बीच में, क्या करता।

- और अंगद कैसे हंसा था उस की हालत पर, याद है।

- रामलीला के बाद अच्छी पिटाई हुई अंगद की। पैर पड़ता रहा, माफ करो, वह तो नाटक था।

- क्या वही बना है अंगद इस बार

- अरे नहीं, उस ने तो तौबा कर ली रामलीला से। कहें, लिखे कोई भरे कोई।

- तो फिर

- अब के नया अंगद हो गा

- कौन?

- सानू हलवाई का बेटा

- अरे वह, फूंक मारने से ही उड़ जाये गा। पैर उठाने की बात क्या, उस को ही उठा लिया जाये गा।

- पर सीता तो फिर भी नहीं मिल पाये गीं, राम हार नहीं मानें गे।

- रावण को कहॉं सीता की चाह है। भाभी है उस की। डर से बोल भी नहीं पाता घर में।

- डायलाग तो बोल ले गा न।

- यही देखने तो जाना है, चलो गे।

- कोशिश करता हूॅं।


Recent Posts

See All
एक शाम साथ में

एक शाम साथ में (इस बार मेरे पास इस लेख की तारीख है। यह 4.12.1965 है, बहुत समय पहले) 1 चौराहे पर पहुँचकर वह थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन उसे ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई। धीरे से उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा औ

 
 
 
मन का चैन

मन का चैन - कहो ललिता बहन, कैसी हैं। - सब ईश्वर की कृपा है। - और बहु कैसी है। - सिरफिरी, कहना ही नहीं मानती, मनमर्जी करती है। - क्येां क्या हो गया। वह तो इतनी सुशील है। काम में भी चुस्त और बात में भी

 
 
 
पहचान

पहचान - तुम्हें मालूम है, तुम्हें थाने क्यों बुलाया गया है? - आप बताईये। मुझे तो मालूम नहीं। - दिखते तो हो सीखिया पहलवान पर चार चार व्यक्तियों को तुम ने चोट पहॅंचाई है। - मैं ने ऐसा कुछ नहीं किया। - इ

 
 
 

Comments


bottom of page