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दिलेरी और वेतन आयोग

  • kewal sethi
  • Aug 8
  • 2 min read

दिलेरी और वेतन आयोग


आज की सभा में वेतन आयोग की बात आ गई। चर्चा इस बारे में थी कि वेतन में कितनी वृद्धि हो गी। कुछ का विचार था डेढ़ गुणा, कुद का विचार था दो गुणी तो हो गी ही। कुछ का विचार था कि डी एक मिला कर छोड़ दें गे। कुछ का विचार था कि डी ए ही मिला दें, बहुत हैं। दूसरे भत्ते तो बढ़ जायें गे। कुछ का कहना था कि एक जनवरी 2026 तक अनुशंसा आ जाये गी, कुछ का विचार था कि अगसत 2026 तक आ जाये तो भी गनीमत है। यह आम राय थी कि लागू जनवी 2026 से हो सकती है।

दिलेरी ने कुछ नही कहा। जब उस को कुरेदा गया तो वह बोला कि इस के बारे में सोचने की क्या ज़रूरत है। और हैं न सोचने वाले इस के बारे में।

- मतलब। हम नहीं सेाचें गे तो ओर कौन सोचे गा।

- वह बजरंगी है न।

- बजरंगी कौन?

- वह किराने वालाा। बताया तो था उस के बारे में।

- वह महंगाई भत्ते वाली बात।

- बिल्कुल। उसे इस बारे में ज़्यादा जानकारी रहती है कि कितने प्रतिशत भत्ता बढ़ा।

- और उस के पहले ही वह कीमतें बढ़ा देता है। वही न।

- वेतन आयोग की रिपार्ट का हम से अधिक उस को इंतज़ार हो गा।

- बजरंगी ही की बात थोड़े ही है। बाकी लोग भी इसी ताक में रहते हैं।

- अमुल दूध की कीमत दो रुपये लिट्टर बढ़ा देता है।

- अरे, हमारे नाई ने भी सौ के एक सौ बीस कर दिये थे।

- मैं ने तो भाई, दो महीने की जगह तीन महीने में हजामत कराना शुरू कर दिया है।

- हॉं, कहीं तो बचत करना ही है।

- सरकार का एहसान मानना चाहिये कि नये नये तरीके बचत करने के सुझाती रहती है।

- आखिर सरकार किस की है।

— तुम्हारी, और किस की?

- चलो, इस से पहले कि चाय दस रुपये की जगह 12 हो जाये, चाय तो पी लें। वेतन आयोग की रिपोर्ट आने में तो देर है।

- उस में तो देर है पर अभी लंच टाईम खतम होने में देर नहीं है। बाकी कल।

और सभा बरखास्त हो गई।

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