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  • kewal sethi

दिलेरी और टपका।

दिलेरी और टपका


दिलेरी की बीवी को कुछ हैरानी हुई। बोली - आज क्यों इतनी जल्दी तैयार हो रहे हो। आज तो रविवार है। और ये दफतर वाली कमीज क्यों पहन के बैठे हो? क्या तकलीफ है?

दिलेरी ने कहा - मैं जा रहा हूॅं चावला के यहॉं झगड़ा करने

- क्या कर डाला उस ने जो इतना बिगड़ रहे हो।

- तुम तो बेसुध होकर सोई रहती हो। तुम को पता ही नहीं लगता है कि क्या हो रहा है और मैं आधी रात तक जागता रहता हूँ।

- अब घर का काम काज करते करते थक जाती हूॅं तो नींद तो आये गी ही।

- तो तुम्हारा ख्याल है कि मैं दफतर में सोता रहता हूॅं इस लिये रात का जागता हूॅं।

- ऐसे जागने की क्या नौबत आ गई आप को?

- अरे वो चावला का बाथरूम जो है दीवार से सटा हुआ। वह बेवकूफ नल को ठीक नहीं कराता और पानी है कि टप टप करते गिरता रहता है। पानी की हर बूंद ऐसी लगती है कि जैसे सिर पर हथौड़ा लग रहा हो। अब इस में कोई क्या सो सकता है। मुश्किल से कभी बहुत ज्यादा हुआ तो नींद आ जाती है वरना तो जाग कर ही रात बितानी पड़ती है।

- अरे भई, अब ये तो होता ही रहता है। मकानों की दीवारें इतनी पतली है कि उधर की आवाज़ सुनाई देती है। उस पार झगड़ा हो रहा हो मिया बीवी का तो साफ सुनाई देता है। और हम लोग झगड़ा करते हैं तो दूसरे लोग उस का मज़ा उठाते हैं। अब ऐसी बातों से बचा नहीं जा सकता।

- पर आज तो मैं इस का फैसला करके ही रहूँगा। यह कब तक चलेगा?


यह कहते हुए दिलेरी घर से निकला और चावला का दरवाजा पीटने लगा।

चावला ने दरवाज़ा खोला ओर बोला - क्यों इतना शोर मचा रहे हो? सोने भी नहीं देते छुटी के रोज़।

- तुम सो लेते हो? इतने शोर में, कैसे।

- शोर, कहॉं है शोर।

- तुम्हारे बाथ रूम में, और कहॉं

- अरे वह थोड़ा सा पानी गिरता है। शोर कहॉं है।

- उसे ठीक क्यों नहीं कराते।

- थोड़ी फुरसत मिले तो कराऊॅं। पर इस में इतना गर्म होने की क्या ज़रूरत है।

- और तब तक मैं जागता रहूॅं।

- अरे भाई, थोड़ा सा पानी बहता है, अब उस में क्या किया जा सकता है। कोई धारा तो बह नहीं रही होती। जिस से तुम्हारी नींद खराब होती हो।

- तुम्हें किसी और का ख्याल ही नहीं आता। आज तो उस का कुछ करो नहीं तो ........


कुछ कहासुनी के बाद दिलेरी गुस्से में घर लौटा और।आते ही सीधे अपने कमरे में जाकर टूल बाक्स खोलने लगा। बीवी ने उसे जल्दी जल्दी आते हुए देखा तो पीछे आ गयी। देखा कि दिलेरी के हाथ में चाकू है।

- क्यों। क्या हुआ?

- आज तो फैसला कर के ही रहूँगा। यह बात खत्म कर के ही रहूँगा।

- क्या मारपीट करो गे? और वह भी चाकू ले कर। मैं ने पहले ही कहा था कि दफ्तर वाली कमीज़ मत पहनो।

- मैं पूछता हूँ कि चाकू आया कहाँ से यहाँ पर? मेरे टूल बॉक्स में क्यों रखा गया?

- मैं ने कहॉं रखा है, तुम ने ही रखा होगा। मैं दो महीने से इस की तलाश कर रही हूँ। तंग आ कर बाजार से 8 रुपये का नया भी खरीदना पड़ा। अब मिल गया है तो लाओ, दो मुझे।

दिलेरी ने चाकू आपनी बीवी को थमा दिया। टू बॉक्स से सामान निकाल कर तेज कदमों से फिर चावला के मकान की तरफ चल दिया।


चावला ने दरवाज़ा खोला। बोला - फिर आ गये।

- आज तो मैं निपटा के ही रहूँ गा। तुम सामने से हट जाओ।

चावला ने दिलेरी का गुस्सा देखा और एक तरफ हो गया। दिलेरी झट से मकान के अंदर दाखिल हुआ और बाथरूम में जा कर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया।

अगले 10 मिनट चावला के बहुत घबराहट में बीते। कभी पानी के तेज बहने की आवाज आती रही तो कभी बंद हो जाती थी, कभी फिर शुरू हो जाती थी। जब आवाज बन्द होती तो चावला को डर लग जाता था। नल बन्द हो गया तो कमेटी के नल से पानी लाना हो गा। और वो भी कौन सा पास है? आने जाने में आधा किलोमीटर फासला है। कितने चक्कर लगाने पड़ें गे। जब पानी चलने की आवाज़ आती तो उस की सास भी सांस आती। थोड़ा आराम से सांस ले पाता। चलो कुछ तो हुआ, पानी आ रहा है।

10 मिनट तक यही चला। और फिर दिलेरी ने दरवाज़ा खोला और झट से बाहर निकल गया।


चावला ने पूछा - क्या हुआ?

दिलेरी बोला - जो होना चाहिए था वो हो गया।

यह कहते हुए वह वापस अपने घर की ओर चला आया। ं

बीवी ने देखा, सही सलामत है। पूछा - क्यों, निपटा आयें?

- बिल्कुल, मामला ही खत्म हो गया। चाय पिलाओ।

बीवी की हिम्मत नहीं पड़ी कि पूछे कि कैसे निपटाया।

उस ने गैस पर चाय चढ़ा दी।


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