एक नया साक्षात्कार
- kewal sethi
- Aug 17
- 2 min read
एक नया साक्षात्कार
अपना काम तो लोगों को डूॅंढ डूूॅंढ कर उन का साक्षात्कार लेना है।
पर क्या करें, पत्रिकायें इन को छापने को ही तैयार नहीं होतीं। जब ऐसी स्थिति कई दिन तक चली तो लोगों ने साक्षात्कार देना ही बन्द कर दिया। किसी से भी निवेदन करो, वह कन्नी काट जाता था।
जब बहुत दिन तक ऐसा हुआ तो हम ने एक छुटभैये कॉंग्रैसी नेता को पकडा। उसे हमारे बारे में कुछ पता नहीं था, इस कारण तैयार हो गया। वैसे भी वह छुटभैया से बड़े भैया बनने को लालायित थे। डूबते को तिनके का सहारा समझ कर वह तैयार हो गये। अब प्रकाशन का तो सवाल ही नहीं था पर भला हो सरकार का कि इण्टरनैट आ गया। अब इस पर कोई रोेक सके ता रोक कर दिखाये। सो वह साक्षात्कार प्रस्तुत है।
आज कल समाचारपत्रों में सावरकर छाये हुये हैंं। इस लिये हम ने उसी से बात आरम्भ की।
- सावरकर को काले पानी क्यों भेजा गया?
- वह संघी था और कॉंग्रैस के खिलाफ प्रचार करता था, इस कारण।
- पर संघ तो उन के काले पानी जाने के 15 साल बाद बना था।
- तो वह गॉंधी जी के खिलाफ बोलता था, इस कारण
- पर गॉंधी जी तो चार साल बाद भारत आये थे
- कोई तो वजह रही हो गी। आखिर अंग्रेज़ सरकार बिना कारण किसी को काले पानी थोड़े ही भेजती है। हॉ, याद आया, उन्हें माफी मॉंगने के लिये भेजा गया था।
- तो उन्हों ने माफी मॉंग ली पर उन्हेें छोड़ा नहीं गया।
- हॉं, उन्हें ठीक से माफी मॉंगना नहीं आया। अभ्यास की ज़रूरत थी।
- पर दस साल में उन्हें आ गया?
- नहीं, पर गॉंधी जी ने कहा छोड़ दो तो ब्रिटिश सरकार मान गई।
- पर उस के बाद उन्हें रत्नागिरी जेल में पॉंच साल और रुकना पड़ा।
- अब इतना समय तो फैसला करने में लगता ही है। अब देखिये, गॉंधी जी ने 1942 मे कहा भारत छोड़ों और उन्हों ने पॉंच साल बाद 1947 में भारत छोड़ दिया।
- उन्हों ने गॉंधी जी को काले पानी क्यों नहीं भेजा
- वहॉं इतनी जगह नहीं थी। उन को भेजते तो साथ बा को भी भेजना पडता। साथ में दस आदमी और भेजने पड़ते ताकि वह बात चीत कर सकें। फिर और लोगों को भी आना जाना पड़ता। उस वक्त काले पानी में होटल तो थे नहीं। इस कारण पुणे वगैरा ही ठीक थे। पास में थे और आने जाने रहने की सुविधा भी थी।
- बहुत बहुत शुक्रिया आप का, बात करने के लिये। आप की ज्ञानवर्धक बातें आप को ऊपर तक पहुंचायें गी।
- इसी आशा में लगे हुये हैं। बस देर सवेर राहुल जी को पावर मिली ओर हमारी किस्मत सुधरी।
- देर तो सही कहा पर सवेर का पता नहीं।
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