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लालच — बुरी बला

  • kewal sethi
  • Oct 1
  • 1 min read

Updated: Oct 6

लालच — बुरी बला

चौसर — आखिर क्यों


पाण्डवों को राज मिला। उन्हों न इन्द्र प्रस्थ नगरी बसाईं। शान शौकत थी। दूर दूर से राजा आये। यज्ञ में भाग लिया। चारों ओर प्रशंसा हुई।

सब ठीक ठाक।

पर

निमन्त्रण मिला चौसर खेलने का, दांव लगा कर।

व्यक्ति क्या सोच कर जुआ खेलता है। कि वह कुछ जीत जाये। चाहे तीन पत्ती की बात हो या रमी की या फिर लाटरी की। जीतने की आशा ही कर्म कराती है। कोई भी व्यक्ति हारने के लिये जुआ नहीं खेलता।

तो पाण्डवों ने क्या सोच कर चौसर का निमन्त्रण स्वीकार कर लिया।

शायद आधे राज से संतोष नहीं हुआ। बाकी का भी हाथ में आ जाये तो और अच्छा।

आगे तो इतिहास है, उस का आप को पता ही है।

चौसर से न सही पर राज्य तो प्राप्त कर लिया।

 
 
 

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