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माध्वी

  • kewal sethi
  • Feb 16
  • 2 min read

माध्वी


- हैलो विभा

- कितनी देर से कोशिश कर रही थी। फोन करने की पर बिज़ी ही बिज़ी। मैं ने सेाचा जा कर ही मिल आऊॅं। किस से करती हो इतनी लम्बी बात।

- हॉं हॉं, मुझे पता है बहुत देर से कोशिश कर रही हो गी फोन की।

- कौन सा ब्वायफ्रैझण्ड था फोन पर। जो इतना समय लग गया।

- अरे, ब्वायफ्रैझण्ड नहीं, वह रसीली कर फोन आ गया था। और तुम्हें पता है कि जब रसीली का फोन आता है तो बाकी सब फोन की छुट्टी हो जाती है।

- सही है, रसीली की बातें तो खत्म ही नहीं होतीं। दुनिया भर की गप। मैं तो उस की आवाज़ पहचान कर ही फोन आफ कर देती हूॅ। पर आज क्या क्या कहानी बताई उस ने।

- उस की एक कहानी थोड़ी होती है। हज़ार दास्तान होती हैं एक से एक जुड़ी हुई।

- कोई खास बात?

- खास बात। वह माध्वी की बात बता रही थी। वह अपने ब्वाय फ्रैण्ड से बहुत नाराज़ है। कहती है अब कभी उस से बात नही करूॅं गी।

- झगड़ा हो गया हो गा। दो रोज़ में ठीक हो जाये गी। नाराज़ी कुछ दिन की पर क्यों।

- क्यों है नाराज़गी। माधवी का कहना है कि वह धोकेबाज़ है, झूटा है, मक्कार है।

- इस में क्या शक है। लड़के होते ही धोकेबाज़ है।

- क्यों, तुम्हें भी किसी लड़के ने धोका दे दिया क्या?

- इतनी किस्मत कहॉं, लड़का कोई मिले तो फिर धोके की बात हो। तो माधवी को क्या हुआ।

- बताया तो उस के ब्वायफ्रैण्ड ने धोका दे दिया।

- क्या धोका दे दिया उस ने?

- कह रही थी कि उस के, यानि माध्वी के - ब्वायफ्रैण्ड ने कहा था कि वह चार रोज़ के लिये कानपुर जा रहा है। पर गया नहीं। कल उस ने उसे कनाटप्लेस में देखा। बहुत बेईमान है।

- क्या वह किसी गर्लफ्रैण्ड के साथ दिखा।

- नहीं नहीं, किसी गर्लफ्रैण्ड के साथ नहीं दिखा।

- तो फिर?

- तो फिर! फिर यह कि उस के ब्वायफ्रैण्ड ने उसे, माध्वी को, दूसरे ब्वायफ्रैण्ड के साथ देख लिया।

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