top of page
  • kewal sethi

पहला प्यार

पहला प्यार


पहली नज़र में ही उसे प्यार हो गया। हाई नेक्ड लाल गले तक की कमीज़ में वह इतनी मनमोहक लग रही थी कि और कोई चारा ही न था। और जब वह मुस्कराई तो प्यार और गहरा हो गया।

वह एक आई आर एस का अधिकारी था। अभी अभी प्रशिक्षण पूरा कर के आया था। उस के बाद उसे कुछ रोज़ के लिये अलग अलग शाखाओं में जा कर वहॉं का कार्य सीखना था ताकि वह दफतर को आसानी से चला सके। इसी सिलसिले में वह इस शाखा में आया था और दिल खो बैठा। उस के बाद उस ने अपने कार्य के बारे में क्या बताया, इस पर तो उस का ध्यान ही नहीं गया। समय का भी ध्यान नहीं रहा। पता तो तब चला जब उस ने बताया कि दफतर का समय समाप्त हो गया है।

जब उस ने कहा कि चलिये तो वह साथ साथ ही चल दिया। दफतर से बाहर की बात होने लगी। उस ने अपने बारे में बताया। उस की प्रेयसी ने अपने बारे में बताया। उस का घर पास की कालोनी में ही था। और वह उस ओर चल पड़े। एक संकड़े साईड गेट से प्रवेश किया तो वह बिल्कुल उस से सट कर ही खड़ी हो गई। अब उस की हालत मत पूछिये। उसे लगा कि प्यार एक तरफा नहीं है। वह भी उस की परसनैलिटी से इम्प्रैस हो गई है। शायद वह भी वैसा ही महसूस कर रही है जैसा कि वह कर रहा है। खवाब सजने लगे।

खैर वह अपने मकान पर पहुूंची तो उस ने कहा कि मैं ज़रा फ्रैश हो कर आती हूॅं। यह कह कर वह अन्दर चली गई। कुछ देर बाद आई तो उसे ने सफैद रंग की कमीज़ और शलवार पहनी थी। उस में वह और भी आकर्षक लग रही थी। उसी का सुझाव था कि पास के रेस्टोरैण्ट में चलते हैं जहॉं आराम से बैठ कर बात कर सकते हैं। अंधा क्या चाहे, दो ऑंखें। वह साथ साथ चल दिये।

एक नामी रेस्टोरैण्ट के पास रुके। वहॉं पर एक नौजवान खड़ा था। उस से उस का परिचय कराया। यह हैं हैं मेरे नये ब्वायफ्रैण्ड - श्री कपूर। और उस नौजवान का परिचय दिया - यह मेरे पति प्रनेश।

प्रनेश ने अपना हाथ बढ़ा दिया। उसे भी अपना हाथ बढ़ाना पड़ा। हाथ मिलाते हुये प्रनेश ने कहा - कुछ चाय हो जाये। सभी होटल में दाखिल हुये और बैठ गये। वेटर ने आर्ड़र लिया - तीन चीज़ बर्गर और काफी। आराम से बात करते हुये खाना पीना चलता रहा।

फिर प्रनेश ने कहा - कहिये तो एक कप काफी का और हो जाये।

उसे कोई आपत्ति नहीं थी। आर्डर दिया गया।

उस ने कहा कि मैं ज़रा बाथरूम हो कर आता हूॅ। बाथ रूम ज़रा बाहर निकल कर था, गेट के पास।

उस ने वहॉं पर खड़े हो कर चैक किया। उस का पर्स उस के पास था। उस में क्रैडिट कार्ड व डेबिट कार्ड भी थे।

उसी समय एक आटो पास आ कर रुका। वह इतमीनान से उस में बैठा और कहा - मालवीय नगर।



23 views

Recent Posts

See All

ज्ञान की बात

ज्ञान की बात - पार्थ, तुम यह एक तरफ हट कर क्यों खड़े हो।ं क्यों संग्राम में भाग नहीं लेते। - कन्हैया, मन उचाट हो गया है यह विभीषिका देख कर, किनारे पर रहना ही ठीक है। - यह बात तो एक वीर, महावीर को शोभा

हाय गर्मी

हाय गर्मी यह सब आरम्भ हुआ लंच समय की बैठक में। बतियाने का इस से अव्छा मौका और कौन सा हो सकता है। किस ने शुरू किया पता नही। बात हो रही थी गर्मी की। —— अभी तो मई का महीना शुरू हुआ है। अभी से यह हाल है।

मुस्कराहट

मुस्कराहट घर से थोड़ी दूर पर ही चौरसिया की पान की दुकान है। शाम को घूमने निकलें तो सप्ताह में तीन एक बार उस का पान हो ही जाता है, कभी किसी मित्र के संग, कभी अपने दम पर भी। चौरसिया के पान की तारीफ तो कर

bottom of page