तीन शेर
उजड़े हुए मज़ार पर किसी ने दिया जला दिया
भूल चुका था हसरतें फिर से याद दिला दिया
बहार गुज़र चुकी थी जब, खज़ाॅं के पत्ते भी झड़ने लगे
जो सजाये थे खवाब जिंदगी के वह भी बिखरने लगे
क्यों किसी ने चुन के तिनके आशयाॅं बना दिया
उजड़े हुए मज़ार पर किसी ने दिया जला दिया