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नीना — भाग 8

नीना — भाग 8

12.

फोटोग्राफर, जिस का नाम पवन था, पवन फोटो स्टूडियो नाम से दुकान चला रहा था। उस ने लाल जी को कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया, यह कहते हुये कि यह उस के सिद्धॉंत के खिलाफ है। वह किसी ग्राहक के बारे में जानकारी नहीं देता क्योंकिं यह जानकारी निजी होती है तथा उसे विश्वास में ले कर दी जाती है। लाल जी ने उसे बताया कि यह मामूली मामला नहीं है बल्कि हत्या का प्रकरण है। जिस व्यक्ति को वह सुमित कह रहा है, वह कमल था जिस की हत्या हो गई है।ं हत्या का शक उस के राज़ जानने वाले को ही माना जा रहा है क्योंकि और कोई वजह सामने नहीं आई है। न यह लूट का प्रकरण है क्योंकि कोई काम की वस्तु गई नहीं है। न ही यह रंजिश का मामला है क्योंकि सभी कमल के चाल चलन पर उंगली नहीं उठा रहे। ऐसे में शक पवन पर भी आ सकता है। क्या इस के बारे में पुलिस को इŸलाह की जाये।

पवन के पास अब कोई चारा नहीं था सिवाये इस के कि वह सम्बन्धित जानकारी दे। पुलिस की जॉंच से सभी को डर लगता है। लाल साहब ने यकीन दिलाया कि वह प्राप्त जानकारी में उस का नाम नहीं लें गे। पवन ने बताया कि सुमित पास के उप नगर का रहने वाला है। वह इस नगर में काम करता है। पवन से उस का सम्बन्ध करीब चार छह साल पहले हुआ था जब वह अपने कैमरे से खींची गई फोटो डेव्हलप कराता था। लाल जी ने जानना चाहा कि यह किस प्रकार की फोटो थीं। पवन ने बताया कि यह बिल्कुल साधारण फोटो थीं जो कोई भी प्रकृति प्रिय खींचता है। पर बीच में एकाध फोटो अश्लील भी होती थी जो उस आयु के व्यक्ति से अपेक्षित होती है। उसे कभी इस बारे में शिकायत का मौका तो नहीं था। जब उस ने पहली बार इस प्रकार की फोटो के बारे में जानना चाहा तो सुमित ने बताया कि यह लड़की की सहमति से ही है और उसे पसन्द आती है। पवन ने एह मान लिया खास तौर पर जब सुमित ने इस के लिये दुगना पैसा देना स्वीकार कर लिया।

लाल जी की मानसिक शक्ति ने इस में सम्भावनायें देखीं, विशेषतया जब उसे इस बात का शक हो गया था कि क्या इस कत्ल की तह में किसी औरत का हाथ हो सकता है। लाल जी ने पवन से जानना चाहा कि क्या इस प्रकार की फोटो केवल एक ही लड़की की होती थी अथवा कुछ फेरबदल भी होता था। पवन ने बताया कि लड़की बदलती रहती थी पर अधिक नहीं।

सब से आखिरी बार सुमित कब आया था, लाल जी ने जानना चाहा। जब पवन ने तिथि बताई तो वह कत्ल के रोज़ की ही थी। क्या सुमित वह फोटो लेने आया था। पवन ने नहीं में उत्तर दिया। क्या वह फोटो उस के पास है, लाल जी ने पूछा। पवन के पास वह फोटो थी। और वह नीना की थी जो अभी कमल की स्टैनो थी।

अब मामला बिल्कुल साफ हो गया। लाल साहब ने पूर्व स्टैनों चन्दा ओर प्रभा की फोटो दिखाते हुये जानना चाहा कि क्या पवन इन को पहचानता है। पवन ने स्वीकार किया कि उस की याददाश्त के अनुसार यह उन्हीं लड़कियों की फोटो है जो सुमित ने उसे डैव्लप होने के लिये दी थीं। पर पवन ने बताया कि वह इन की प्रति अपने पास नहीं रखता था क्योंकि उसे ऐसी फोटो पसन्द नहीं थीं। उस के नेगेटिव्ह भी वह नहीं रखता था। वह तो सिर्फ पैसे ले कर अपना काम करता था। उन फोटो का सुमित क्या करता था यह उस ने कभी जानना नहीं चाहा।

पर लाल जी को यह स्पष्ट था कि इन फोटो का इस्तेमाल कमल द्वारा अपने स्टैनों को ब्लैकमेल करने के लिये तथा बार बार वापस आने के लिये मजबूर करने के लिये करता था। इस कारण ही स्टैनो जितनी जल्दी हो, अपनी जगह छोड़ने के लिये कोशिश करती थीं। क्या इस से उन्हें कमल से निजात मिल जाती थी। यह कहना तो मुश्किल था। इन में से कोई भी कमल की हत्या के लिये किराये पर व्यक्ति को ले सकती थी ताकि इस ब्लैकमेल को रोका जा सके।

पर वह लड़की कौन हो सकती है। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि वह स्टैनो न हो कर कोई ओर हो। कमल का कोई और दफतर भी हो सकता है जो उस के लम्बे समय तक अपने दफतर से तथा अपने घर से गायब रहने की वजह हो। इसी से उस के दफतर में अथवा घर में लम्बे समय तक न रहने से शक नहीं होता था। इन्हीं विचारों के बीच लाल जी ने पवन की दुकान से रुखसत ली।


13.

अब सवाल यह था कि आगे की तहकीकात कहॉं ंसे आरम्भ की जाये। नीना की फोटो तो लाल जी ने पवन से ले ली थी। पर उसे यह दिखाई जाये, यह करना उन्हें सही नहीं लगा। यह स्पष्ट था कि यह फोटो कमल द्वारा उस को दिखाई नहीं गई थी क्योंकि कमल उसे पवन से ले ही नहीं पाया था। उस से पहले ही उस की हत्या हो चुकी थी। नीना को अगर इस फोटो का पता नहीं था तो उस के द्वारा हत्या का प्रोग्राम बनाना भी संदिग्ध हो जाता था। उस के ब्यान से भी इस बात की झलक नहीं मिलती थी कि वह इस के बारे में जानती थी कि उसे ब्लैकमे किया जा सकता है। यह केवल एक बार का किस्सा भी वह मान सकती थी। स्वयं से कोई ऐसी फोटो खिंचवा भी नहीं सकता है।

तो क्या पहले वाली स्टैनो से इस बात का ज़िकर किया जाये। क्या उन्हें यह फोटो दिखाई जा सकती है। यह भी किसी लड़की के जीवन से खेलने की बात हो सकती है। पर उस के बिना आगे कैसे चला जाये। इस दुविधा में कुछ दिन निकल गये। पर आखिर लाल जी ने पहले की स्टैनो से मिलने की ही सोची ताकि उन की सोच को वह पक्का कर सकें।

इस के लिये उन्हों ने प्रभा को ही चुना जिस ने कत्ल को अच्छा बताया था। वह प्रभा से मिले जो उन्हें दौबारा देख कर खुश नहीं हुई। पर सीधे टाल भी नहीं पाई। बस इतना ही कहा - कहिये अब और क्या जानना रह गया कमल के बारे में। लाल जी ने माफी मॅंगते हुये कहा - मैं सिर्फ एक फोटो दिखाने आया हूॅं। शायद आप पहचान जायें। फोटो देख कर अचानक प्रभा का रुका हुआ क्रोध भड़क उठा। एक आह भर कर उस ने कहा तो यह बात है कि उस ने यह नुसखा दूसरी पर भी आज़माना चाहा। ऐसेे आदमी की हत्या हो जाना ही ठीक था। खुशी है कि किसी ने इस काम को पूरा किया।

इस में एक तो स्वीकृति थी कि उसे ब्लैकमेल किया गया था और उसे बार बार कमल का शिकार बनना पड़ा था। उसे दूसरी लड़की से हमदर्दी भी थी जो अब वही करने को मजबूर थी जो उस ने किया था। आखिर किसी ने तो हिम्मत दिखाई। इस के बाद उस ने लाल जी को अपना पूरा किस्सा सुना दिया कि किस प्रकार उसे धोका दिया गया था।

क्या नौकरी छोड़ने के पश्चात भी उसे आने के लिये कहा गया था। एकाध बार, पर फिर यह बन्द हो गया था। शायद किसी दूसरी लड़की के कारण। कौन थी, यह वह नहीं बता पाई। नई स्टैनो भी हो सकती है, कोई और भी। नहीं, उसे किसी अन्य दफतर होने की जानकारी नहीं थी और उस ने कमल के बारे में अधिक जानने का प्रयास भी नही ंकिया। वह कमल की बीवी से कभी नहीं मिलीं। शायद यह गल्ती थी पर उसे इस बात का ध्यान नहीं आया कि कमल की बीवी उस की कोई मदद कर सकती है। ऐसी बात को सार्वजनिक करना वेसे ही कठिन बात होती हे।


14.

लाल जी ने दूसरी स्टैनों चन्दा से मिलने की ज़़रूरत नहीं समझी। वह भी अपना वैसा ही अनुभव बताती। उस ने ही आदमी किराये पर लिये हों, हो सकता है। पर सीधे पूछने से वह क्यों इस के बारे में कुछ बताये गी। प्रभा ने ऐसा नहीं किया, यह लाल जी को उस की बातों से तथा उस की प्रतिक्रिया से लगा।

तो आगे कैसे चला जाये। लाल जी ने सोचा कि इस बारे में अशोक से ही बात की जाये क्येांकि कत्ल के दिन वह नीना के साथ था। क्या उसे इस बारे में कुछ पता हो गा। बात करने से ही पता चले गा।

लाल जी अशोक से मिले। उन्हों ने कुछ बात चीत के बाद पूछा कि क्या उस दिन नीना कुछ अलग सी लग रही धी जिस कारण उसे नाटक दिखाने ले जाने का सोचा गया। अशोक का कहना था कि वह बहुत दिन से सोच रहा था, इस बारे में क्योंकि वह नीना को कुछ और जानना चाहता था। वे होटल में चाय पीने के बाद सीधे ही नाटक देखने गये। कोई खास बात तो नहीं हुईं। इधर उधर की बात ही होती रही। पहली बार ही वह साथ साथ गये थे। वह नीना को चाहने लगा था पर खुल कर कुछ कह नहीं पाया। क्या उसे हैरानी नहीं हुई कि नीना नाटक को जाने के लिये तैयार हो गई। अशोक ने कहा कि पहले भी उस से अकसर बात होती रहती थी और कई बार चाय भी उसी होटल में पी थी। यह पहली बार नहीं थी पर नाटक देखने के लिये यह पहली बार थी। घर पर बताया तो नहीं था पर पड़ौसी को फोन कर दिया था कि वह विलम्ब से आये गी।

अब लाल जी ने अपना दॉंव खेला। उन्हों ने वह फोटो उसे दिखाई। फोटो देख कर अशोक हैरान रह गया। लाल जी को नहीं लगा कि इस हैरानी में कोई नाटक है। वाकई ही अशोक परेशान दिखा। उसे और परेशान करने के लिये यह शंका भी ज़ाहिर कर दी कि नीना ने ही कत्ल के लिये योजना बनाई थी। और यह नाटक की बात सब झूट की बात है। क्या अशोक भी इस योजना में शामिल था। क्या उस ने किराये का आदमी लेने में मदद की थी। प्रमाण तो जुटाया जा सकता है। थोड़ी मश्किल हो गी पर असम्भव बात नहीं।

लेकिन अशोक ने इस सब से इंकार किया। उसे इस फोटो के बारे में या इस के पीछे क्या बात थी, यह उसे मालूम होने से उस ने इंकार किया। यह ज़रूर माना कि वह - नीना- उस दिन कुछ अनमनी सी थी। दफतर में उस ने पूछा था पर कोई कारण नीना ने नहीं बताया था। इसी कारण उसे नाटक की बात ख्याल में आई। नाटक की बात गलत नहीं थी और उस ने टिकट पहले से खरीदा था जिस का पता किया जा सकता है। उस की सोच थी कि शायद यह ही जीवन में कुछ बदलाव लाये।

अशोक की बात मानने योग्य तो नहीं थी कि उसे इस सब के बारे में कुछ नहीं पता था। पर लाल जी उस से कुछ और कहलवा नहीं पाये। कमल के व्यवहार के बारे में भी नहीं। उसे चन्दा अथवा प्रभा के जाने का पता था पर उस ने कभी वजह जानने का प्रयास नहीं किया था। उस ने उन्हों में कोई असामान्य व्यवहार नहीं देखा था। सब कुछ सामान्य ही था।

लाल जी को लगा कि या तो अशोक बहुत अच्छा अभिनेता था या फिर उसे वाकई ही इस फोटो की पृष्ठभूमि का नहीं पता था। और पड़ोसी का फोन करने की बात का भी पता लगाया जा सकता था। यह तो कोई मुश्किल नहीं था। पड़ौसी का नाम तो अशोक ने बता ही दिया था। अशोक के बारे में उन्हों ने कुछ जानकारी हासिल की थी तथा उस के बारे में दफतर में सभी के अच्छे विचार थे। नीना में उस की दिलचस्पी का भी उन्हें अंदाज़ था। पर इस से अधिक वे नहीं बता पाये थे। न अशोक स्वयं ही कुछ बताने को तैयार था।

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