कलैक्टर और समाजवाद (यह कहानी 1967 की है, इसे ध्यान में रखा जाये) कल्ब में अधिकारियों की पत्नियों की महफिल जमी हुई थी। उन का अपना कल्ब था और जैसा कि कायदा है, श्रीमती कलैक्टर उस की अध्यक्षा होती हैं। ए
और कुण्डली मिल गई - देखिये कपूर साहब, हमारा परिवार तो ज़रा पुराने समय का है। हमें तो कुण्डली मिला कर ही शुभ कार्य करना होाता है। वैसे , आप का बेटा बहुत अच्छा है। पसन्द है हमें। - मेहता जी, यह तो पुरानी
दिलेरी औेर गरीबी रेखा आज दोपहर की बैठक में दिलेरी बहुत खुश खुश था। इतना खुश कि सब के लिये मिठाई भी लाया था। खुशी का कोई कारण दोस्तों की समझ में नहीं आ रहा था। अगर महंगाई भत्ता बढ़ता तो सब का बढ़ता, अकेल