top of page
  • kewal sethi

a book review -- nine on nine

नाईन आन नाईन

पुस्तक समीक्षा

लेखक — नन्दिनी पुरी

प्रकाशक — रूपा


इस बार पुस्तकालय गया तो सोचा कि हर बार गम्भीर पुस्तक ले रहा हूँ। इस बार कोई हल्की फुल्की सी, कहानियांे इत्यादि की पुस्तक ली जाये। इधर उधर देखा और किताब ली नाईन आन नाईन। लेखक हैं - नदिनी पुरी। सोचा था कि इस से शायद कोई प्रेरणा भी मिल जाए। पर पूरी किताब तो पढ़ ही नहीं पाया। और न ही पढ़ने की कोशिश करूँ गा। क्योकि जो पढ़ा है वह ही बेकार की बात है। एक कहानी है जिस में अमेरिका में रहने वाला एक व्यक्ति एक लड़की को अपने जाल में फंसाता है और शारीरिक सम्बन्ध बनाता है। और बाद में उसे पता चलता है कि तो पहले से ही शादीशुदा है और उस की दो बेटियॉं भी है। तो लड़की को आघात लगता है। तब उस की माँ बताती है कि वर्षो पहले 15 साल के एक लड़के ने उस को भी इसी प्रकार फंसाया था। और वह उसी का परिणाम है। हैरानी की बात यह है कि दोनों मर्द एक ही निकले।

फिर। एक दूसरी कहानी है आलिया की। जिस मे उस को फंसाया जाकर सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका की यात्रायें की जाती है। वही पुराने ढर्रे से पता चलता है कि उस की तो पहले से ही शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी है।

अब एक मुख्य कहानी जिस के नाम ने मुझे आकर्षित किया। वह है भाभी जी। इस में मुख्य पात्र है छोटा भाई, भाभी जी नहीं। उन के क्रियाकलाप की तो झॉंकी भी मुश्किल से मिलती है। बड़ा भाई निकम्मा और नाकारा है। न कुछ करता है, न कुछ करने की कोशिश करता है। बाप ने उस की शादी तो करा दी यह सोच कर कि एक खाना बनाने वाली मिल जाये गी। पर एक ऐसी लड़की से जिस के आने पर मोहल्ले वाले बच्चे चुड़ैल आई चुड़ैल आई कहते थे। इस परिवार को पालने का ज़िम्मा छोटे भाई ने ही लिया और वर्षों बल्कि दशकों तक निभाता चला गया। बड़े भाई के चार बेटे हो गए जो उस की तरह ही नकारा और निकम्मा थे परन्तु फिर भी छोटा भाई उन को पालता रहा। हैरानी की बात यह है कि इस छोटे भाई की, जिस को केवल मूर्ख ही कहा जा सकता है, ने चार बार शादी की। और चारों बार उस की पत्नी बड़े भाई तथा भाभी के व्यवहार से परेशान हो कर उसे तलाक दे कर चली गईं फिर भी इस को अकल नहीं आई। उस के भतीजे ने एक लड़की से शादी कर ली और वह भी उसी परिवार में आ गई। इंतहा तब हुई जब लड़की के बाप ने छोटे भाई को फ़ोन किया कि वे अपनी लड़की से अलग नहीं रह सकते और इस लिये उन्हेें भी आना है। और इस के लिए उन्हें टिकट भेज दी जाए। कम से कम इस पर छोटे भाई ने इंकार कर दिया। कहानी यही खत्म हो जाती है। क्या आगे हुआ ये तो लेखक ही जानेे।

इसी प्रकार की एक और कहानी है, जिसमे अमीर लोगो की चरित्र दिखाया गया है। एक फ़िल्म के म्यूजिक डायरेक्टर की बीवी अपने लड़के को हर तरह का वादवृन्द सिखाना चाहती है ताकि वह भी संगीत निर्देशक बन सके। जबकि उसे कतई रुचि नहीं है और न ही सीखने की तमीज़ है। वह औरत अकसर सैर सपाटे पर रहती है और लड़के को साथ ले जाती है और उस समय के पैसे भी नहीं देती।

ये चारों कहानियाँ सरसरी तौर पर पढ़ी। पूरी पढ़ने की तो हिम्मत नहीं पड़ी। और बाकी पांचो को देखने की हिम्मत भी नहीं पड़ी।

फिर भी लोग कहानी लिख लेते है, यही अजीब है। और वो प्रकाशित भी हो जाती हैं। और मेरे जैसे उसे घर भी ले आते है। शुक्र है कि ये पुस्तकालय की थी। मेरे पैसे ज़ाया नहीं हुए।

लिखने की शैली की एक बॉंगी देखिये।

"to my husband, om, who provided me with food with shelter whilst i wrote and hopefully will continue to do so while i continue to write, also, for providing the first half of the title, 'nine' of 'nine on nine'. the latter half of the title 'on nine' was mine. see what i mean by team work".

शेष आप की कल्पना के लिये छोड़ दिया है। प्रसंगवश ओम पुरी आप के जाने पहचाने अभिनेता है।

11 views

Recent Posts

See All

आरक्षण के नये आयाम आज का विषय महिला आरक्षण का था। इस के बारे में मोटे तौर पर कहा जासकता है कि 30% स्थान लोकसभा में तथा विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षित रखे जाएं गे। अधिकतर वक्ता आरक्षण के पक्ष में

the voice of reason ( a speech by miguel de unammuno) (prologue -- franco has won the spanish civil war, more or less. resistance was still there but it would be curbed with heavy hand. at this junctu

एक और आरक्षण। लगता है हमारे नेतागण यह नहीं चाहते कि कोई भी वर्ग अपने दम पर आगे बढ़े। उन के विचार में हर वर्ग को हमेशा बैसाखी का सहारा ही चाहिये। यह बीमारी आज की नहीं है, पूना पैक्ट से ही चल रही है। 195

bottom of page