सगाई
विकास कनाट प्लेस में वेंगर रेस्टारॉं के सामने इधर से उधर आ जा रहा था। बार बार अपनी घड़ी भेी देख रहा था। साफ था कि वह किसी की प्रतीक्षा कर रहा था। और आने वाला समय पर नहीं आया था। क्या हुआ हो गा। सोच भी थी और थोड़ा गुस्सा भी। ऐसा तो कभी हुआ नहीं था।
तभी एक लड़की आई और उस को मुखातिब होते हुई बोली।
--- ‘‘अर्चना आज नहीं आये गी’’।
अपने विचारों में खोया खोया विकास समझ नहीं पाया कि यह कैसा सन्देश है। उस के मुॅंह से एक दम निकला।
---- ‘‘कौन अर्चना’’।
जवाब में लडक्ष्की खिलखिला कर हॅंस पड़ी।
---- ‘‘कितनी अर्चना को जानते हो तुम’’।
विकास तब तक सम्भल चुका था पर उसे सम्झ नहीं आ रहा था कि यह लड़की कौन है। कुछ शकल तो पहचानी सी लगती है पर उस से अधिक नहीं।
तभी उस लड़की ने एक और चौंकाने वाली बात कही।
--- ‘‘आज अर्चना की सगाई है। उस में व्यस्त है।
अर्चना और सगाई - विकास को समझ नहीं आई। वह और अर्चना पिछले एक साल से मिलते रहे थे। सप्ताह में एक दो बार। दोनों मिलते और वेंगर रैस्टोरां में चाय पीते। कोई ऐसी प्यार मुहब्बत की बात तो कभी नहीं हुई थे पर उन्हों ने इस की कभी ज़रूरत नहीं समझी। एक खूबसूरत सा साथ था जो चला आ रहा था। उसी में देानों प्रसन्न थे और अब यह समाचार?
तो क्या वह सब सपना था। पर पहले कुछ जानना आवश्यक था।
- कैसे पता आप को।
- मैं नीरा हूॅं। अर्चना के घर की बगल में ही मेरा घर है। कह सकते हो, हम अच्छी सहेलियॉं हैं। और मुझे तुम्हारे बारे में भी पता है। इस लिये चली आई बताने के लिये।
विकास ने एक आह भरी और चलने को हुआ। पर नीरा ने उसे रोक लिया।
- क्या वेंगर में आज चाय नहीं पियें गे। अर्चना नहीं है पर मैं तो हूॅ। चाय पीने में तो साथ दे सकती हूॅं।
और इस से पहले कि विकास कुछ कहता, नीरा विकास को लगभग धकेलते हुये वेंगर की और बढ़ गई।
विकास को चाय पिलाना पड़ी यद्यपि उस का मन इस में नहीं था।
विकास आम तौर पर बहत कम बोलता था और अर्चना की भी वैसी ही आदत थी। इस लिये चाय तो होती ही थी और साथ भी होता था। उसी में ही दोनों सुतंष्ट थे। पर नीरा की बात अलग थी। उसे चुप बैठना ही नहीं आता था। लगातार कुछ न कुछ विषय चलता ही रहता था और इस के बीच बीच में एक खिलखिलाती हॅंसी। उसे हर विषय में कुछ तो हॅंसने का मौका मिल जाता। विकास नहीं बोलता था, इस से अन्तर नहीं पड़ा। एक तरफा डायलाग ही काफी था।
दो दिन बाद जब फिर विकास वहीं वंेंगर पर पहॅंुचा तो उसे अर्चना नहीं मिली, नीरा ही मिली। वैसे भी विकास की सोच थी कि अगर अर्चना की सगाई हो गई हैं तो वह अपने मंगेतर के साथ गई हो गी, यहॉं क्यों आये गी। फिर भी उस के कदम उस तरफ ही मुड़ गये थे। और एक बार फिर उसे नीरा को चाय पिलाना पड़ी या जैसा कि नीरा ने कहा, आज की चाय उस के ज़िम्मे । इस कारण वास्तव में नीरा ने उसे चाय पिलाई। जब चलने का समय हुआ तो नीरा ने कहा कि एफ ब्लाक में स्टाईल नाम का रैस्टोरॉं है, उस की चाय अच्छी होती है। कल वहीं मिलें गे। और विकास को कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला।
पर इस को क्या कहें कि अगले दिन विकास स्टाईल की तरफ ही गया और नीरा उस की प्रतीक्षा करते हुये मिली। फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा।
इस में कई महीने बीत गये। पर विकास अभी भी सप्ताह में दो बार ही कनाटप्लेस आता था। उस की इच्छा तो यह कर रही थी कि वह रोज़ आये और नीरा के साथ चाय पिये पर ऐसा हो नहीं पा रहा था।
उस दिन पता नहीं क्या हुआ कि वह जब कनाटप्लेस आया तो बेध्यानी में ही वह वेंगर की तरफ मुड़ गया। और हैरानी यह हुई कि वहॉं पर मुलाकात हो गई अर्चना से। जैसे वह वहॉं किसी का इंतज़ार रही हो। विकास ने सोचा कि वह अपने मंगेतर का इंतज़ार कर रही हो गी। बच कर निकलने वाला था कि अर्चना ने देख लिया।
- अरे तुम। आज यहॉं कैसे?
- बस ऐसे ही। थोड़ा टहल रहा था।
- बहुत दिन बाद मिले, क्या बात है। तबियत तो ठीक है।
- कुछ नहीं, ऐसे ही।
- कहीं और दिल लगा लिया क्या?
- नहीं, नहीं। ऐसा कुछ नहीं पर तुम सुनाओ कैसी हो।
- बिल्कुल ठीक
- और हॉं, सगाई की बहुत बहुत बधाई।
- सगाई? किस की सगाई?
- तुम्हारी। और किस की।
- मेरी सगाई? कब हुई? किस के साथ हुई?
- मतलब?
- तुम्हें किस ने बताया मेरी सगाई का।
- तुम्हारी सहेली नीरा ने, और किस ने।
- ओह, वह बातूनी नीरा। मैं भी कहूॅं, वह इतने दिन से मेरे साथ चुप चुप क्यों रहती है। पहले तो उसे चुप कराना ही मुश्किल था। और अब?
विकास चुप रहा। वह सोचने लगा कि यहॉं कोई तो गड़बड़ है। सगाई के नाम पर अर्चना कुछ सकपकाती, कुछ स्पष्टीकरण देती। मॉं बाप ने अचानक कर दिया। या पुराने समय से बात चल रही थी। पर कुछ नहीं। वह तो सगाई का सुन कर ही हैरान सी लगी। सो असली सच्चाई क्या है।ं
- तो चाय अब नीरा के साथ पी जाती है। जगह भी बदल दी हो गी।
विकास अभी भी कुछ नहीं बोला। वह सोच में था। यह सब सच है। उस की चोरी पकड़ी गई हैं। अर्चना नीरा को समझती हैं। उसे उस के स्वभाव का पता है। पर वह अब क्या कहे।
अर्चना ने ही बात आगे बढ़ाई।
-- पर एक बात है, सगाई अभी तो नहीं हुई पर जब भी मेरी सगाई हो गी तो तुम्हें ज़रूर बुलाऊँ गी। चुपके से नहीं हो गी।
- मुझे ??
- और क्या। बिना तुम्हारे आये मेरी सगाई हो सकती है क्या?
- सच ??
और दोनों चाय पीने के लिये वेंगर की ओर चल दिये।
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