top of page
  • kewal sethi

वक्त

वक्त


उठो साथियो

वक्त की ज़ंजीर को तोड़ दो

बदल दो यह निज़ाम, यह कानून

जो बने हैं सिर्फ वक्त को कैद करने के लिये

कानून जिन का सिर्फ एक मकसद है

इन अजारादारों को पनाह देने का

याद रखो साथियो

वक्त हमारे साथ है

वक्त कैद है ताकि वह हमारे साथ आ न सके

ताकि इंकलाब आ न सके

वक्त कैद है इन सयाहकारों के दौलत खाने में

सदियों से, मुद्दतों से

और हम कमज़ोर पिसते रहे हैं

इस ज़ुल्मात की चक्की में

वक्त को कैद रखने में ही इन की सलाहियत है

ताकि इन के सयाह कारनामे पोशीदा रह सकें

वक्त ज़ाहिर कर दे गा इन की बदनाम हरकतें

बेनकाब हो जायें गी इन की साजि़शें

उठो साथियों और आज़ाद करा दो वक्त को

ताकि तरक्की के रास्ते पर हम गामज़न हो सकें

यह हमारा मुल्क

जो हम सब का है

इन नाम निहाद ठेकेदाराने कौम का नहीं

जो रोकना चाहते हैं हमें कानून के नाम पर

उन का भी नहीं जो ले कर इंकलाब का नाम

करना चाहते हैें पूरे अपने इरादे नापाक

बतला दो उन्हें कि अब न चल सकें गी यह तदबीरें

क्योंकि वक्त खुद आज़ाद होने को है

उठो साथियो

वक्त को आज़ाद करायें गे हम

तोड़ दें गे वक्त की ज़ंजीरें

फिर हम आज़ाद हों गे

और आज़ाद होगा हमारा यह वक्त

और बढ़ें गे हम मिल कर उस राह पर

जो जाती है खुशहाली की जानिब

जो देती है दर्जा बराबरी का हर इंसां को

जो मंजि़ल है हम सब की

बढ़ो साथियो

तोड़ दो वक्त की ज़जीरें

आज़ाद कराओ वक्त को

वक्त हमारे साथ है

(सागर - 5.12.73)

1 view

Recent Posts

See All

लंगड़ का मरना (श्री लाल शुक्ल ने एक उपन्यास लिखा था -राग दरबारी। इस में एक पात्र था लंगड़। एक गरीब किसान जिस ने तहसील कार्यालय में नकल का आवेदन लगाया था। रिश्वत न देने के कारण नकल नहीं मिली, बस पेशियाँ

अदानी अदानी हिण्डनबर्ग ने अब यह क्या ज़ुल्म ढाया जो था खुला राज़ वह सब को बताया जानते हैं सभी बोगस कमपनियाॅं का खेल नार्म है यह व्यापार का चाहे जहाॅं तू देख टैक्स बचाने के लिये कई देश रहते तैयार देते हर

सफरनामा हर अंचल का अपना अपना तरीका था, अपना अपना रंग माॅंगने की सुविधा हर व्यक्ति को, था नहीं कोई किसी से कम कहें ऐसी ऐसी बात कि वहाॅं सारे सुनने वाले रह जायें दंग पर कभी काम की बात भी कह जायें हल्की

bottom of page