वक्त
उठो साथियो
वक्त की ज़ंजीर को तोड़ दो
बदल दो यह निज़ाम, यह कानून
जो बने हैं सिर्फ वक्त को कैद करने के लिये
कानून जिन का सिर्फ एक मकसद है
इन अजारादारों को पनाह देने का
याद रखो साथियो
वक्त हमारे साथ है
वक्त कैद है ताकि वह हमारे साथ आ न सके
ताकि इंकलाब आ न सके
वक्त कैद है इन सयाहकारों के दौलत खाने में
सदियों से, मुद्दतों से
और हम कमज़ोर पिसते रहे हैं
इस ज़ुल्मात की चक्की में
वक्त को कैद रखने में ही इन की सलाहियत है
ताकि इन के सयाह कारनामे पोशीदा रह सकें
वक्त ज़ाहिर कर दे गा इन की बदनाम हरकतें
बेनकाब हो जायें गी इन की साजि़शें
उठो साथियों और आज़ाद करा दो वक्त को
ताकि तरक्की के रास्ते पर हम गामज़न हो सकें
यह हमारा मुल्क
जो हम सब का है
इन नाम निहाद ठेकेदाराने कौम का नहीं
जो रोकना चाहते हैं हमें कानून के नाम पर
उन का भी नहीं जो ले कर इंकलाब का नाम
करना चाहते हैें पूरे अपने इरादे नापाक
बतला दो उन्हें कि अब न चल सकें गी यह तदबीरें
क्योंकि वक्त खुद आज़ाद होने को है
उठो साथियो
वक्त को आज़ाद करायें गे हम
तोड़ दें गे वक्त की ज़ंजीरें
फिर हम आज़ाद हों गे
और आज़ाद होगा हमारा यह वक्त
और बढ़ें गे हम मिल कर उस राह पर
जो जाती है खुशहाली की जानिब
जो देती है दर्जा बराबरी का हर इंसां को
जो मंजि़ल है हम सब की
बढ़ो साथियो
तोड़ दो वक्त की ज़जीरें
आज़ाद कराओ वक्त को
वक्त हमारे साथ है
(सागर - 5.12.73)
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