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इलाज

kewal sethi

इलाज


बीमार बीवी को हम ने आखिर हस्पताल में दाखिल करा दिया

देख कर डाक्टर ने उस को, बड़ा सा नुस्खा थमा दिया

लेने गये दवाई बाज़ार में तो पूछ कीमत रह गये दंग

उड़ने लगीं हवाईयाँ चेहरे पर हो गये रंग से बदरंग

सोचा अब तो करना ही पड़े गा किसी तरह बेड़ा पार

दोस्त हैं अपने उन से ही लेते हैं कुछ पैसे उधार

पैसा तो क्या देना था मिल गई बस मुफ्त सलाह

पहले से ही कहते थे तब न मानते थे हमारा कहा

क्यों बीड़ा उठाया ईमानदारी का, हमारे साथ आ जाओ

लगा रहे हैं भ्रष्टाचार में गोता, तुम भी ज़रा नहाओ

मानते अगर तो आज न होता तुम्हारा यह हाल

दर दर भटकते हो पैसे के लिये और बीवी है हस्पताल

न चल पाये गा इस तरह कभी जीवन तुम्हारा

कक्कू जी कहिन या बेईमानी अब तेरा ही सहारा


(1.6.89 भोपाल

इस के पीछे सौभाग्यवश कोई निजी अनुभव नहीं था। केवल कल्पना की उड़ान थी।)


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