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हिन्दु धर्म के बारे में कुछ बातें।

  • kewal sethi
  • Aug 15, 2020
  • 2 min read

हिन्दु धर्म के बारे में कुछ बातें।


अंग्रेज़ी में कुछ शब्द प्रयोग में लाये जाते हैं जो पाश्चातय जगत के लिये उपयुक्त हैं किन्तु भारतीय परिस्थिति से मेल नहीं खाते।

1. अंग्रेज़ी में कहा जाता है - अमुक व्यक्ति हवक मिंतपदह है। हिन्दु धर्म में ईश्वर से डरने की कोई बात नहीं है। ईश्वर किसी से कोई प्रतिशोध नहीं लेता। हमारे अपने कर्म हैं जिन का फल हमें मिलता है। यदि हमारे कर्म सही हैं। हम अपना कर्तव्य धर्म के अनुरूप कर रहे हैं तो डरने की बात नहीं है। ईश्वर भक्ति तथा ईश्वर से डरना अलग अलग बात है।

2. अंग्रेज़ी में किसी की मृत्यु पर कहा जाता है आर आई पी अर्थात शाॅंति में आराम करो। यह इस कारण कहा जाता है कि पाश्चात्य जगत में कयामत का दिन होता है जब सभी मृत्यु प्राप्त लोग जी उठें गे तथा उन के कर्मों के अनुसार उन्हें दण्ड या ईनाम दिया जाये गा। तब तक वह शाॅंति से प्रतीक्षा करे, यह अपेक्षा की जाती है। हिन्दु धर्म में इस का कोई प्रावधान नही है। अपने कर्मों के अनुसार नया जन्म मिले गा जिस में अपने को सही मार्ग पर चलाने का एक और अवसर मिले गा। ओम शाॅंति कहना काफी है।

3. आम तौर पर रामायण और महाभाारत को पौराणिक कथायें कहा जाता है जो सही नहीं है। यह अपने मं ऐत्हासिक कथायें हैं।

4. मूर्ति पूजा के बारे में शर्मिंदा या क्षमायाचक होने की आवश्यकता नहीं है। यह कहना आवश्यक नहीं हे कि यह केवल प्रतीकात्मक हैं तथा हम पूजा ईश्वर की ही करते हैं। एक दृष्टि से यह सही है पर इसे प्रतीक कहने की आवश्यकता नहीं है। वैसे हर धर्म में प्रतीक होते हैं। क्या क्रास एक प्रतीक नहीं है। किसी विशिष्ट दिशा में पूजा करना क्या प्रतीक नहीं हे जब कि कहा जाता है कि ईश्वर हर स्थान पर तथा हर दिशा में विद्यमान है। क्या किसी पुस्तक को प्रतीक नहीं माना जाता है तथा इस के बेहुरमिती पर क्रोध नहीं आता।

5. कई बार हम गणेश को मसमचींदज हवक और हनुमान को उवदामल हवक कह देते हैं। इस तरह किसी को समझाने की आवश्यकता नहीं है। जिन को इस के बारे में जानना है, वे ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। उन के लिये अनुवाद करने की आवश्यकता नहीं है। श्री गणेश, श्री हनुमान कहना ही काफी है। हम इन के गुण देखते हैं, रूप नहीं।

6. चर्च, मसजिद को प्रार्थना स्थल कहा जाता है किन्तु मंदिर प्रार्थना स्थल नहीं है। वह देवताओं का निवास स्थान है। उन्हें देवालय कहा जाना चाहिये।

7. जन्म दिन पर मोम बत्ती बुझाना सही बात नहीं है। एक नये वर्ष का आरम्भ कुछ बुझा कर आरम्भ करना गल्त है। बत्ती जलाईये और केक खाईये। आनन्द मनाईये।

8. यह उचित नहीं है कि हम प्राणायाम को केवल ब्रीथ्रिग एक्सरसाईज़ कहें। योग का प्रभाव और महत्व बहुत उच्च है जो पाश्चात्य रंग में रंगे लोगों को समझ में नहीं आता। यदि हम इन्हीं शब्दों का प्रयोग करें गे तो वह अंग्रेज़ी में भी स्वीकार कर लिये जायें गे जैसे जंगल, पण्डित, गुरू इत्यादि शामिल कर लिये गये हैं। वैसे योग शब्द अब काफी प्रयोग में सभी देशों में आता है। पर इसे अंग्रेज़ी की नकल में योगा कहना गल्त है।


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