हम कहाँ जा रहे हैं
- kewal sethi
- Aug 11, 2020
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हम कहाँ जा रहे हैं
कल मिला जब मुझ को नत्थु हलवाई
कहने लगा जाने कैसी है यह खुदाई
थानेदार ने कर दिया है यह अहलान
मिलावट करने वालों का होगा चालान
हो रहे हैं इस आज़ाद वतन में यह ज़ुल्म
उफ बेईमान हकूमत सितम बालाये सितम
अभी कल ही तो थानेदार ने पैसे पाये थे
दूध भी पिया था रसगुल्ले भी खाये थे
कहना उस का ऊपर से आदेश है आया
तो क्या उन से वह पटरी नहीं बैठा पाया
स्वार्थ से ही होता है इस तरह अन्याय
बतायें भला क्यों कोई अकेला ही खाये
मिल बांट कर खाने का था रिवाज सदा
एक भूखा रहे दूसरा क्यों उड़ाये मालपुआ
ज़रूरत हो तो वह और सकता था मांग
यह सही नहीं है इस तरह करना परेशान
मैं ने मना करने का नहीं सीखा है सलीका
फिर भला चालान करने का क्या है तरीका
खैर करने दें अभी तो उन्हें उन की रज़ा
माले मुफ्त छोड़ कर जायें गे कहां भला
(कटनी - २५.१२.६६)
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