top of page
  • kewal sethi

सुहावना सफर

सुहावना सफर


मुसूरी

ठंडी ठंडी हवायें

लम्बी लम्बी राहें

कुछ क्षणों की बोरियत भाषणों में

प्रश्नों की बौछाड़

कुछ चटपटे

कुछ अटपटे

फिर धन्यवाद, कुछ सधे शब्दों में

दूर

इन से बहुत दूर

लुधियाना की गर्म हवायें याद करती थीं

कुटप्पन के नुतृत्व में

काफिला चला

कुछ मुफत के लंच

कुछ फोकट के खाने

गर्म गर्म धूप में पच्चीस मील चल कर

पच्चीस सैकण्ड तक

रीपर को देखने के लिये

लेकिन भाषण

जन्म जन्म के साथी

फिर भी साथ रहे

लौट आये

उसी खुशी से जिस से चले थे


(मसूरी - जून 1971

लुधियाना के कृषि महाविधालय के अध्ययन दौरे से लौटने के पश्चात)

1 view

Recent Posts

See All

अर्चित बत्रा मेरी दर्द भरी कहानी चन्द शब्दों में ही सिमट जाती है। सच कहता हूॅं, जब भी याद आती है, बहुत रुलाती है। जन्म मेरा हुआ इक बड़े से नगर मेे, एक सुखी परिवार था तबियत मेरी आश्काना थी, संगीत और कवि

तराना इण्डिया बंगलुरु के सुहाने मौसम में मिल कर संकल्प ठहराया है दूर हटो मोदी भाजपा वालो, हम ने इण्डिया नाम धराया है इण्डिया अब नाम हमारा, तुम्हारा अब यहॉं क्या काम है इण्डिया की गद्दी छोड़ो, इस लिये

विश्व अब एक ग्राम है हमारे एक दोस्त जब आये मिलने आज लगता था कि वह बहुत ही थे नाराज़ हाथ में लहरा रहे थे वह कोई अखबार बोले देखे तुम ने आज राहुल के विचार अमरीका में जा कर खोलता सारा भेद जिस थाली में खाये

bottom of page