top of page
  • kewal sethi

संस्कृति का महत्व

संस्कृति का महत्व


सिंगापुर के प्रधान मन्त्री ने 1989 में संसद को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सांस्कृतिक दबाव में आ रहे हैं तथा पश्चिमी देशों की जीवन शेली तथा मूल्य अपना रहे हैं। हम अपने एशिया वाली नैतिकता, कर्तव्य तथा समाज के मूल्य, जिन्हों ने हमें अभी तक स्थापित रखा है, छोड़ कर जीवन में पाश्चात्य, व्यक्तिपरक तथा स्व केन्द्रित दृष्टिकोण अपना रहे हैं। यह आवश्यक है कि हम उन मूल मूल्यों को याद रखें जो कि सिंगापुर की विभिन्न नस्लों तथा विभिन्न धर्म के वासियों ने सिंगापुर को सिंगापुर बनाया है तथा जो उन के सिंगापुरवासी होने का तत्व हैं।


उन्हों ने चार मूल्यों को मौलिक बताया। यह है समाज को स्वयं से ऊपर रखना; परिवार को समाज का मूल रचनात्मक ईकाई मानना; अपने मतभेदों को विवाद के स्थान पर आपसी रज़ामंदी से तय करना; तथा नस्ली, धार्मिक सहिष्णुता तथा सामञ्स्य। उन्हों ने कहा कि हम यह न भूलें कि हम एशिया के हैं तथा हमें वैसा ही रहना चाहिये न कि हम केवल नकलची बन कर जियें। सदि हम ने केवल नकल की तो हम अपनी मौलिकता, अपनी विशिष्टता खो दें गे जो हमें जीवन देती है।


क्या यह सब भारत पर लागू नहीं होता है। सोचिये।


1 view

Recent Posts

See All

संख्या और ऋगवेद

संख्या और ऋगवेद ऋग्वेद की दस पुस्तकों, जिनमें एक हजार अट्ठाईस कविताएँ शामिल हैं, में संख्याओं के लगभग तीन हजार नाम बिखरे हुए हैं। उनमें...

भारत के गणितज्ञ एवं उन की रचनायें

भारत के गणितज्ञ एवं उन की रचनायें भारत में गणित एवे खगोल शास्त्र ज्ञान को तीन चरणों में देखा जा सकता है। 1. वैदिक काल जिस में सुलभशास्त्र...

ताओ वाद

ताओ वाद चीन में तीन प्रकार की विचार धाराएं चलती है। ताओवाद, कन्फ्यूशियस वाद तथा बौद्ध विचार। तीनों का मिलन ही चीन की संस्कृति को परिभाषित...

Comments


bottom of page