top of page

संस्कृति का महत्व

  • kewal sethi
  • Aug 13, 2020
  • 1 min read

संस्कृति का महत्व


सिंगापुर के प्रधान मन्त्री ने 1989 में संसद को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम सांस्कृतिक दबाव में आ रहे हैं तथा पश्चिमी देशों की जीवन शेली तथा मूल्य अपना रहे हैं। हम अपने एशिया वाली नैतिकता, कर्तव्य तथा समाज के मूल्य, जिन्हों ने हमें अभी तक स्थापित रखा है, छोड़ कर जीवन में पाश्चात्य, व्यक्तिपरक तथा स्व केन्द्रित दृष्टिकोण अपना रहे हैं। यह आवश्यक है कि हम उन मूल मूल्यों को याद रखें जो कि सिंगापुर की विभिन्न नस्लों तथा विभिन्न धर्म के वासियों ने सिंगापुर को सिंगापुर बनाया है तथा जो उन के सिंगापुरवासी होने का तत्व हैं।


उन्हों ने चार मूल्यों को मौलिक बताया। यह है समाज को स्वयं से ऊपर रखना; परिवार को समाज का मूल रचनात्मक ईकाई मानना; अपने मतभेदों को विवाद के स्थान पर आपसी रज़ामंदी से तय करना; तथा नस्ली, धार्मिक सहिष्णुता तथा सामञ्स्य। उन्हों ने कहा कि हम यह न भूलें कि हम एशिया के हैं तथा हमें वैसा ही रहना चाहिये न कि हम केवल नकलची बन कर जियें। सदि हम ने केवल नकल की तो हम अपनी मौलिकता, अपनी विशिष्टता खो दें गे जो हमें जीवन देती है।


क्या यह सब भारत पर लागू नहीं होता है। सोचिये।


Recent Posts

See All
why??

why?? indus valley civilisation is recognized as the oldest civilisation in the world. older than that of mesopotamia and egypt. yet they...

 
 
 
कन्फूसियसवाद

कन्फूसियसवाद चीन में तीन विचार धारायें साथ साथ चलती रही हैं - ताओवाद, कन्फॅूसियसवाद तथा बौद्ध विचार। कन्फूसियसवाद प्राचीन है तथा कनफूसियस...

 
 
 
विश्व की एकमेव जाति

वस्तुतः मानवजाति ही विश्व की एकमेव जाति है वस्तुतः विचार करने पर प्रतीत होता है कि इस विश्व में एक ही जाति है और वह है मानवजाति। एक ही...

 
 
 

Commentaires


bottom of page