सेवानिवृति के बाद
रिटायर हुए, दफतर से मिली नजात, तो हमें ख्याल आया
समय काटने का, कुछ अतिरिक्त कमाने का सवाल आया
इधर उधर देखा, पढ़ा, लोगों की सलाह भी पाई
बना कर एक एन जी ओ झट रजिस्टर करवाई
कुछ देश की खिदमत भी हो जाये कुछ जेब भी भर जाये
कुछ दुनियादारी में रुतबा बढ़े, कुछ आकबत भी सुधर जाये
बहती नदी में से तुम भी अपना हिस्सा वसूल कर लो
भूखे भक्ति न होये गुसाईं इस बात को कबूल कर लो
यह नहीं कहता कि दूसरों का दुख दर्द बांटना फर्ज नहीं है
पर अपनी भी बन जाये बात इस में तो कोई हर्ज नहीं है
गुज़ारा है वक्त नौकरी में तुम ने ऐशो आराम से
अब तो माल कमाना होगा तुम्हें कुछ काम से
रिपोर्ट लिखो, भाषण दो, आयोजित सैमीनार कर लो
पन्नों पर पन्ने अब किसी प्रकार के लेख से भर दो
कक्कू कवि जि़ंदगी है यह बस में उसी इंसान के
वक्त रहते जो बदलती दुनिया में मौके को पहचान ले
(शेगांव - 20 नवम्बर 2001)
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