top of page
  • kewal sethi

सूत्री सरकार

सूत्री सरकार


परदेश से आये एक दोस्त ने चाही यह जानकारी

कैसी चल रही है यह सूत्री सरकार तुम्हारी

हम समझ नहीं पाये इन के कहने का क्या है मुद्दा

करते हैं शब्द का इस्तेमाल कुछ सोच समझ कर

सरकार तो हमारे यहाँ श्री राजीव गाँधी की है

प्रधान बदल गया हो पर अभी भी यह काँग्रैसी है

लहज़ा इस ओर हम ने ध्यान उन का दिलाया

हमारे यहाँ भी डैमोक्रसी है यह भी बतलाया

की अर्ज़ हम ने इस तरह हमारी छवि न बिगाड़ो

तब कहा उन्हों ने हमारी बात इस तरह न टालो

हर सरकार की एक नीति होती है एक प्रोग्राम होता है

दिये जाते हैं आदेश उन का पालन करना होता है

पर तुम्हारे देश में काम नहीं सिर्फ सूत्र हुआ करते हैं

उन्हीं से तुम्हारी प्रगति के बड़े बड़े एहलान होते हैं

वन विकास के लिये यहाँ पर चाौदह सूत्र बनाये जाते हैं

अगर करना हो कृषि का विकास तो वहाँ भी सूत्र बनाते हैं

ऊर्जा की बात हुई कि 12 सूत्र की बात आ ही जाती है

गर हो राष्ट्रीय एकता समिति की कहानी यही दौहराई जाती है

जिस तरफ देखें हम वही माहौल पाया जाता है

दिन रात सूत्रों का ही गुण गाण गाया जाता है

सब से शीर्ष पर है बीस सूत्री प्रोग्राम तुम्हारा

दिन रात टी वी पर देखा जाता है इसी का बोल बाला

जिसे देखो जपता है बस इस प्रोग्राम की माला

और कुछ नहीं बस इस का प्रचार है काम सरकारी

सूत्र ही रह गये हैं अब काम की नहीं है ज़िम्मेदारी

फिर क्यों न कहें इसे हम सूत्री सरकार तुम्हारी


(भोपाल 10.9.86 बीस सूत्री समिति की बैठक के बाद

संदर्भ स्पष्ट है। आपात काल में संजय गाँधी के चार सूत्री तथा सरकार के बीस सूत्री कार्यक्रम के धुआँधार प्रचार के बाद सभी मंत्रालयों ने इस बात के महत्व को समझा और हर एक अपने अपने सूत्र निकालने लगा। संदर्भवश संजय गाँधी और इंदिरा गाँधी कार्यक्रम को मिला का फोर एण्ड टवैण्टी कार्यक्रम कहा जाता था।)

1 view

Recent Posts

See All

अर्चित बत्रा मेरी दर्द भरी कहानी चन्द शब्दों में ही सिमट जाती है। सच कहता हूॅं, जब भी याद आती है, बहुत रुलाती है। जन्म मेरा हुआ इक बड़े से नगर मेे, एक सुखी परिवार था तबियत मेरी आश्काना थी, संगीत और कवि

तराना इण्डिया बंगलुरु के सुहाने मौसम में मिल कर संकल्प ठहराया है दूर हटो मोदी भाजपा वालो, हम ने इण्डिया नाम धराया है इण्डिया अब नाम हमारा, तुम्हारा अब यहॉं क्या काम है इण्डिया की गद्दी छोड़ो, इस लिये

विश्व अब एक ग्राम है हमारे एक दोस्त जब आये मिलने आज लगता था कि वह बहुत ही थे नाराज़ हाथ में लहरा रहे थे वह कोई अखबार बोले देखे तुम ने आज राहुल के विचार अमरीका में जा कर खोलता सारा भेद जिस थाली में खाये

bottom of page