top of page

स्त्री -- विमल मित्र का कहानी संग्रह (पढ़ने के बाद के कुछ विचार)

kewal sethi

स्त्री

विमल मित्र का कहानी संग्रह

(पढ़ने के बाद के कुछ विचार)


इस संकलन में चार कहानियाँ हैं। इन में लेखक के अनुसार नायिका स्त्री है। कहानियाँ के शीर्षक नहीं हैं।


पहली कहानी एक वेश्या के बारे में है जिस से बचपन के अपने गाँव के व्यक्ति ने विवाह कर लिया है। विवाहोपरन्त वह नया जीवन आरम्भ करना चाहते हैं पर समाज इस की इजाज़त नहीं देता। बदनामी उन का पीछा नहीं छोड़ती। स्त्री पात्र को अच्छे रूप में प्रस्तुत किया गया है। वह सेवा भाव से परिपूर्ण है। चाहे प्रसूता की बात हो अथवा मंदिर की स्थापना, उस की भूमिका प्रशंसनीय है। सब उस का आदर करते हैं पर जैसे ही पता चलता है कि वह वेश्या थी, रवैया बदल जाता है। पतिता के उद्धार की बात नहीं उठ पाती। उन्हें रातों रात अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ता है। और ऐसा कई जगह पर होता हे, यह कहानी के अन्त में बताया गया है। कहानी में रुचि अंत तक बनी रहती है।


दूसरी कहानी दावे के विपरीत स्त्री केन्द्रित नहीं है। यह एक अîयाश ज़मींदार के बारे में है जो मुसाहिबों से घिरा रहता है। उसे महामूर्ख दिखाया गया है। वह रात को घर से बाहर किसी स्थान पर रहता है। सुबह सवेरे घर आता है और चार बजे दिन तक सोता है। उस के घर में पनाह लिये हुये एक फोटोग्रफर है। वह मुसाहिब नहीं है पर वह क्यों वहाँ है, पता नहीं। पर वह सुन्दर आकर्षक व्यक्ति है। ज़मींदार के बीवी का उस पर दिल आ जाता है। अब उन की मुलाकात कैसे हुई, वह एक बेहूदी सी बात लगती है। इसे लेखक की कल्पना की उड़ान कह कर नज़र अंदाज़ कर सकते हैं। एक दिन जब दोनों प्रेमी हमबिस्तर हैं तो ज़मींदार अचानक वापस लौट आता है। प्रेमी को इत्लाह होती है और वह भाग लेता है पर अपनी चप्पलें वहीं छोड़ जाता है। ज़मींदार के बताने पर वह कहता है कि शायद बिल्ली उन्हें ले गई हो गी। अब महामूर्ख ज़मींदार यह भी नहीं सोच सकता कि ऐसी कौन सी बिल्ली है जो दोनों चप्पलें बाहर घुड़साल से ला कर उस की बीवी के पलंग के नीचे छोड़ जाती है। और कहानी का अंत होता है जब बीवी के हार में फोटोग्राफर की फोटो मिलती है और फोटोग्राफर यह कहता है कि वुन्दावन (ज़मींदार का बेटा) वास्तव में उस का बेटा है। एक दम बेतुकी कहानी। पाठक को तो आधे रास्ते ही सब पता चल जाता है पर ज़मींदार को नहीं।


तीसरी कहानी और भी अविश्सनीय है। यह भी केवल परोक्ष रूप से स्त्री आधारित है। पर वस्तव में नायक आधारित है। एक बंगाली डाक्टर है जो राजस्थान में आ जाता है। वह राजा नहारगढ़ की बीवी का इलाज कर देता हैं। राजा उस से खुश हो कर उसे जागीर देता है। मान सम्मान देता है। उसे राजवैद्य बना देता है। राजा को शतरंज का शौक है और डाक्टर को भी। पर राजा तो राजा ठहरा, डाक्टर ही जीतता है। राजा नराज़ हो जाता है। अब आगे का हाल सुनिये। राजा का शौक है कि वह सुन्दर स्त्री को सिफलिस का इंजैक्शन लगा कर रखता है। जब वह नाराज़ होता है तो जिस से नाराज़ होता है, उस से ऐसी ही सुन्दरी का विवाह करा देता है। इस से पति बेचारा भी उसी रोग से ग्रस्त हो जाता है। डाक्टर के साथ यही हुआ पर उस की ब्याहता उसे हाथ नहीं लगाने देती। पता चलने पर डाक्टर अपने कमरे में बन्द हो कर उस बीमारी के निदान खोजने लगता है। ब्याहता के मरने के बाद वह अपने को भी वह इंजैक्शन लगा लेता है और अनुसंधान जारी रखता है। और मर जाता है। कहानी का आरम्भ और भी अजीब हैं 23 वर्षीय डाक्टर एक 26 वर्षीय नर्स के प्रति प्रेम प्रकट करता है। नर्स उसे जूते से पीटती है। डज्ञक्टर न केवल नौकरी छोड़ देता है बल्कि बंगाल छोड़ कर राजस्थान चला जाता है बिना पैसे के, बिना किसी जान पहचान के। और उधर नर्स में अब प्रेम जाग उठता है तो वह नौकरी छोड़ देती है। दूसरी जगह नौकरी करती है पर अन्त में बारह अथवा चौछह वर्ष के बाद राजस्थान पहु ँच जाती है, डाक्टर की तलाश में। तब तक उज्ञक्टर मरने वाला होता है और नर्स उस के नाम पर वहाँ हस्पताल खोल लेती है और उसे डाक्टर माँ कहा जाता है। कहानी में कोई सार नहीं है। न ही रुचि बनी रहती है। केवल अविश्वसनीय घटनाओं का समूह।


चौथी कहानी नटनी के बारे में है। वह इतनी उबाउ है कि इस का सार लिखने का भी मन नहीं करता है। नटनियाँ देश विदेश में घूमती है पर उदयपुर नहीं जातीं। एक राजा ने तीन सौ साल पहले एक नटनी को नाच दिखाने को बुलाया था। उस से उदय सागर रस्सी पर नाचते हुये पार करने पर आधा राज्य देने का वायदा कर लिया। वह पार कर भी लेती पर राजा के मन्त्री ने ऐन वक्त पर रस्सी काट दी। नटनी गिरी और मृत्यु को प्राप्त हो गई। राजा ने मन्त्री की करतूत देख ली और वायदे के अनुसार नटनी के पिता को आधा राज्य देने का इररादा ज़ाहिर किया। पर बाप ने इंकार कर दिया और कहा कि कोई नटनी कभी उदयपुर नहीं आये गी। तब से उदयपुर नटनी विहीन है। कारण कोई नहीं जानता पर लेखक का डाक्टर दोस्त जानता है क्योंकि वह नटनियों का इलाज करता है। इस बीच शायद कथा को रौचक बनाने के लिये नटनी - रंगना - का एक प्रेमी - चमन - भी डाल दिया है। उस के बारे में लिखना इस लिये अनावश्यक है कि वह बिल्कुल ही बे सिर पैर की बात है। यह कहानी मेरे द्वारा तो पूरी पढ़ी ही नहीं जा सकी।


विमल मित्र का एक उपन्यास पढ़ा था - आसामी हाज़िर। बहुत अच्छा लगा। वह दो खण्ड में था। दूसरे खण्ड थोड़ा़ अटपटा था पर कुल मिला कर अच्छा उपन्यास था। इसी कारण यह पुस्तक भी ले आया। परन्तु पढ़ कर बहुत निराश हुआ।



Recent Posts

See All

the nationalist whom nobody liked

the nationalist whom nobody liked stephen bundera of ukarain is the person. ukarain was part of the austro hungarian empire when bundera...

another dream

another dream this was about a meeting. as happens with dreams, i do not recall the topic of discussion. i only recall my outburst. it...

abduction

2012 How My Conscience Was Abducted in Dantewada In the garb of social responsibility, the Essar Group recently organised a storytelling...

Comentários


bottom of page