a childish story from the seventies
लकड़हारे का इनाम
किसी गांव में एक गरीब लकड़हारा रहता था, गरीब पर ईमानदार और मेहनती. उस के तीन बेटे थे। बड़े दोनों बेटे तो बाप की कमाई पर ही ऐश करना चाहते थे और छोटा लड़का बहुत लगन तथा परिश्रम से काम करता था। वक्त आने पर लकड़हारा बीमार पड़ा और उस ने जान लिया कि अब उस का अंतिम समय आ गया है। उस ने अपने बेटों को अपने पास बुलाया और कहा, ” बेटो, अब मैं अपने जीवन के दिन पूरे कर चुका हूं। जाने से पहले मैं चाहता हूं कि आप सब मिल कर रहने का वचन दे। मेरे पास तुम को देने के लिए कुछ खास नहीं है. सिर्फ एक लकड़ी है और एक रस्सी. इस के तीन टुकड़े कर लो और एक-एक टुकड़ा ले लो। अगर तुम मेहनत और ईमानदारी से अपना जीवन बसर करो गे यह तो यह तुम्हारी बहुत मदद करेगी।” यह कह कर लकड़हारे में सदा के लिए अपनी आंखें मूंद लीं। तीनों भाइयों ने लकड़ी और रस्सी बॉंट ली. लेकिन बड़े भाई इस से खुश नहीं थे। उन्हों ने कहा कि बुड्ढा हमारे साथ मजाक कर गया है। भला यह छोटी सी रस्सी और लकड़ी हमारे किस काम आए गी। उन्हों ने उन्हें बाहर फैंक दिया. लेकिन छोटे भाई ने यह सोच कर यह उस के बाप की आखिरी निशानी है, उन्हें संभाल कर रख लिया। दिन गुजरते गए। सभी भाई मेहनत कर के अपना गुजारा करते रहे। एक दिन क्या हुआ कि गलती से छोटा भाई उस लकड़ी और रस्सी को अपने साथ ले गया। सारे दिन लकड़ी काटने के बाद जब शाम के समय उन को बांधने के लिए झुका तो यह दोनों चीजें उस के जेब से गिर पड़ी। तुरंत ही वे सब लकड़ियॉं अपने आप आ कर उस लकड़ी के पास आ गईं और रस्सी ने उन को बांध दिया। लड़का जल्दी से लकड़ी ले कर बाज़ार चला गया। क्योंकि वह बाजार में पहले पहुंचा था इस लिए उस की लाई लकड़ी ज्यादा अच्छे दामों में बिकी। दूसरे दिन भी वह उन दोनों चीजों को साथ में ले गया। आज उस ने पहले से ज्यादा लकड़ी काटी। वह सब अपने आप बन्ध गईं तो वह बाजार गया और काफी पहले पहुॅंच गया और लकड़ी काफी ज्यादा होने के कारण ज़्यादा पैसे लेकर घर आ गया। उस दिन के बाद वह रोज़ ही यह काम करने लगा। क्योंकि उसके पास पैसा बच गया था इसलिए उसने अपने भाइयों को भी दावत दी। उस के भाइयों ने छोटे भाई की यह अच्छी हालत देखकर सोचा कि इस का क्या कारण है। छोटे भाई ने बताया कि उस रस्सी की करामात है जिस से उसे रस्सी बॉंधने में ज्यादा आसानी होती है। दोनों भाइयों को बहुत अफसोस हुआ कि उन्होंने अपने हिस्से की लकड़ी और रस्सी फेंक दी थी। उन्होंने उसे ढूंढने का प्रयास किया लेकिन इतनी इतनी देर के बाद ऐसी चीज कहीं मिल सकती हैं। दोनों भाई हाथ मलते ही रह गए। जब उन की जलन छोटे भाई से ज्यादा बढ़ी तो उन्हों ने एक रात उस की रस्सी और लकड़ी को चुरा लिया जब दूसरे दिन छोटा भाई उन के पास अपनी चीजों को ढूंढने आया तो उन्हों ने कहा शायद वह दूसरी लकड़ियों के साथ ही उस को बाजार में बेच आया है इसी लिए उस के पास नहीं है। अभी तक तुम ने बहुत आराम कर लिया है पर अब थोड़ा काम कर के ही कमाना पड़ेगा। छोटे भाई ने मान लिया और पहले की तरह काम करने लगा। एक दिन उसने फैसला किया कि वह अपने भाईयों से बचने के लिए दूसरे स्थान पर जा कर काम करेगा. जब वो चला गया तो दोनों भाइयों ने वह चीज़ें निकाली और उन्हें जंगल में ले गए जहां उन्हों ने लकड़ियां काटनी थी। काटने के बाद उस लकड़ी और रस्सी को वहां रख दिया परंतु इस बार न तो लकड़ियॉं खिंच कर आईं और न ही रस्सी ने उन्हें बॉंधा। बल्कि वह पहले से एक दूसरे से दूर होना शुरू हो गई जिन्हे इकठ्ठा करने में बहुत महेनत लगी और उन को दूसरे दिनों जितना पैसा भी न मिल पाया। भाइयों को समझ आ गई कि जिस का जो हिस्सा था वही उस के काम आ सकता है। उन्हों ने छोटे भाई से माफी मांगी और उस की दोनों वस्तुयें उसे वापस कर दी। छोटे भाई ने भी यह सोच कर कि उसे भी दूसरे भाईयों की मदद करना चाहिये, वापस आ गया और वह लोग आपस में मिल कर रहने लगे।
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