मोहबत का असूल
गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है
एक्सरलेटर उतना दबाओ जितना असूल है
रास्ता उबड़ खाबड़ है तो गाड़ी को धीरे चलाना
अगर हो स्पीड ब्रेकर तो बेहतर होगा रुक जाना
खाली हो गाड़ी कभी तब भी उसे मत भगाना
अच्छा होता है आराम से आना आराम से जाना
चलती रहे तभी गाड़ी रुक जाए तो रस्ते की धूल है
गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है
अगर हो बी पी तो मत बेकार जोखिम उठाओ
निकलता हो जो कोई आगे तो मत ज़ोर लगाओ
अपने दिल को मत यूं ही ग़म में उलझाओ
जियो और जीने दो के सिध्दांत को अपनाओ
अपनी कमज़ोरी को न पहचान पाना भूल है
गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है
अठारह दलों का यह समूह है इसे मत भूल जाओं
जितना कदम बढ़ सकता है उतना ही तुम बढ़ाओ
सरस्वती वन्दना, वन्दे मात्रम को अभी मत उठाओ
निभ सकती है जिस तरह वैसे तुम अभी तो निभाओ
वक्त के पहले कोई कदम उठाना फ़ज़ूल है
गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है
(यह कविता आगरा से दिल्ली जाते समय एक टैम्पो के पीछे लिखे हुए वाक्य पर से बनाई गई।
पहली दो स्तरें इस वाक्य की हैं।
तीसरे पैरा में श्री बाजपेयी की सरकार से अनुरोध किया गया है - १६..११..९९)
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