top of page
  • kewal sethi

मोहबत का असूल

मोहबत का असूल


गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है

एक्सरलेटर उतना दबाओ जितना असूल है


रास्ता उबड़ खाबड़ है तो गाड़ी को धीरे चलाना

अगर हो स्पीड ब्रेकर तो बेहतर होगा रुक जाना

खाली हो गाड़ी कभी तब भी उसे मत भगाना

अच्छा होता है आराम से आना आराम से जाना

चलती रहे तभी गाड़ी रुक जाए तो रस्ते की धूल है

गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है


अगर हो बी पी तो मत बेकार जोखिम उठाओ

निकलता हो जो कोई आगे तो मत ज़ोर लगाओ

अपने दिल को मत यूं ही ग़म में उलझाओ

जियो और जीने दो के सिध्दांत को अपनाओ

अपनी कमज़ोरी को न पहचान पाना भूल है

गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है


अठारह दलों का यह समूह है इसे मत भूल जाओं

जितना कदम बढ़ सकता है उतना ही तुम बढ़ाओ

सरस्वती वन्दना, वन्दे मात्रम को अभी मत उठाओ

निभ सकती है जिस तरह वैसे तुम अभी तो निभाओ

वक्त के पहले कोई कदम उठाना फ़ज़ूल है

गाड़ी नहीं है यह तो मोहब्बत का फूल है

(यह कविता आगरा से दिल्ली जाते समय एक टैम्पो के पीछे लिखे हुए वाक्य पर से बनाई गई।

पहली दो स्तरें इस वाक्य की हैं।

तीसरे पैरा में श्री बाजपेयी की सरकार से अनुरोध किया गया है - १६..११..९९)

1 view

Recent Posts

See All

लंगड़ का मरना (श्री लाल शुक्ल ने एक उपन्यास लिखा था -राग दरबारी। इस में एक पात्र था लंगड़। एक गरीब किसान जिस ने तहसील कार्यालय में नकल का आवेदन लगाया था। रिश्वत न देने के कारण नकल नहीं मिली, बस पेशियाँ

अदानी अदानी हिण्डनबर्ग ने अब यह क्या ज़ुल्म ढाया जो था खुला राज़ वह सब को बताया जानते हैं सभी बोगस कमपनियाॅं का खेल नार्म है यह व्यापार का चाहे जहाॅं तू देख टैक्स बचाने के लिये कई देश रहते तैयार देते हर

सफरनामा हर अंचल का अपना अपना तरीका था, अपना अपना रंग माॅंगने की सुविधा हर व्यक्ति को, था नहीं कोई किसी से कम कहें ऐसी ऐसी बात कि वहाॅं सारे सुनने वाले रह जायें दंग पर कभी काम की बात भी कह जायें हल्की

bottom of page