top of page
  • kewal sethi

मेरा नाम खान है

मेरा नाम खान है


इरादा तो है की रोज़ कुछ न कुछ लिखें चाहे कितना छोटा ही क्यूँ न हो। लिखने के लिए इतनी बातें हैं। आज की बात ही लें, "मेरा नाम खान है" चल चित्र को अधिकतर अख़बारों ने पांच स्टार दिए हैं। पिक्चर अभी रिलीज़ होना है। पर जिस पिक्चर को शिव सेना ने गलत करार दिया है, उसे इस से कम क्या दें गे। हमें कहानी, एक्टिंग, फोटोग्राफी थोड़े ही देखनी है। उस के लिये तो रिलीज़ होने की प्रतीक्षा करना हो गी।


कोई भी पिक्चर हो जिस में या तो भारत को गलत तरीके ला पेश किया गया हो जैसे की स्लामदाग मिलेनेअर या वाटर या कोई और, उसे तो हमारे क्रिटिक को पसंद करना ही है। इसी तरह से यदि कोई पिक्चर मुस्लिम दृष्टिकोण को बताये तो उस को भी अच्छा बताना आवश्यक है। यही प्रगतिवाद है। पर यह तो रोज़ होता है इस लिए इस के बारे में अधिक लिखना बेकार है।

1 view

Recent Posts

See All

आरक्षण के नये आयाम आज का विषय महिला आरक्षण का था। इस के बारे में मोटे तौर पर कहा जासकता है कि 30% स्थान लोकसभा में तथा विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षित रखे जाएं गे। अधिकतर वक्ता आरक्षण के पक्ष में

the voice of reason ( a speech by miguel de unammuno) (prologue -- franco has won the spanish civil war, more or less. resistance was still there but it would be curbed with heavy hand. at this junctu

एक और आरक्षण। लगता है हमारे नेतागण यह नहीं चाहते कि कोई भी वर्ग अपने दम पर आगे बढ़े। उन के विचार में हर वर्ग को हमेशा बैसाखी का सहारा ही चाहिये। यह बीमारी आज की नहीं है, पूना पैक्ट से ही चल रही है। 195

bottom of page