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फेसबुक को प्रणाम

  • kewal sethi
  • Aug 15, 2020
  • 1 min read

Updated: Aug 16, 2020

फेसबुक को प्रणाम


सुबह सवेरे उठ कर पहले करते स्मार्ट फोन को प्रणाम

वाटस एप का और फेसबुक का फिर धरते हैं ध्यान


कई समूहों से सन्देशे आते, कईयों के आते पैगाम

किस ने कहाॅं खाना खाया और किया कहाॅं विश्राम

घर बैठे पता चल जाता हुए कौन हुए कहाॅं बदनाम

सुबह सवेरे .....


कितने तो फोटो है भेजते, कहाॅं कहाॅं वे घूम कर आये

कितने तो भेजते चुटकले, जाने कहाॅं कहाॅं से हैं लाये

कईयों का दावा, लाईक करने से बन जाये बिगड़े काम

सुबह सवेरे ......


मन न भरता कभी, चाहे समय कितना भी बीत जाये

बासी हो जाये अपना खाना या ठण्डी पीनी पड़े चाय

पति बच्चे चिल्लाते रहते उन्हें नहीं और कोई काम

सुबह सवेरे ......


कईयों को टिविट्टर प्यारा कईयों को है भाता इंस्टाग्राम

अपने को बस फेसबुक और वाटसएप से मिलता आराम

जिन को प्यारे और कोई एप हैं, उन को भी मेरा सलाम

सुबह सवेरे ........


परीखित साहनी के आते शेर, पदमवीर के चित्र न्सारे

पर कर जाते हैं चोट कभी उन के ऐसे बोल करारे

खप जाता मस्तिष्क उत्तर सोचने में, हो जाती नींद हराम

सुबह सवेरे .....


फेसबुक और वाटस एप पर जाऊॅं बार बार बलिहारी

जिस ने इन का आविष्कार किया, हूॅं उन पर मैं वारी

पूरा जीवन सुखमय बनाने का है यही तरीका आसान

सुबह सवेरे .........


फुरसत नहीं मिलती इन से, होता नहीं कोई घरू काम

कहें कक्कू कवि सारे ही घर वाले हमेेशा रहते परेेशान

कोई तरीका सुझा दे कोई, अपने आप हो जायें सब काम

सुबह सवेरे ......


(एक प्रसिद्ध भजन की तर्ज़ पर)


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