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kewal sethi

मेरे गीत

मेरे गीत


मेरे गीत गाये जाने के लायक नहीं

इन में कोई लय नहीं

इन में कोई ताल नहीं

केवल कुछ शब्दों का झमगट

जैसे

चन्द बिखरे इंसानों की बस्ती

बस गई हो एक जगह

काम की खातिर

रोटी की तलाश में

(भिलाई - 28.11.70)


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