अर्चित बत्रा मेरी दर्द भरी कहानी चन्द शब्दों में ही सिमट जाती है। सच कहता हूॅं, जब भी याद आती है, बहुत रुलाती है। जन्म मेरा हुआ इक बड़े से नगर मेे, एक सुखी परिवार था तबियत मेरी आश्काना थी, संगीत और कवि
तराना इण्डिया बंगलुरु के सुहाने मौसम में मिल कर संकल्प ठहराया है दूर हटो मोदी भाजपा वालो, हम ने इण्डिया नाम धराया है इण्डिया अब नाम हमारा, तुम्हारा अब यहॉं क्या काम है इण्डिया की गद्दी छोड़ो, इस लिये
विश्व अब एक ग्राम है हमारे एक दोस्त जब आये मिलने आज लगता था कि वह बहुत ही थे नाराज़ हाथ में लहरा रहे थे वह कोई अखबार बोले देखे तुम ने आज राहुल के विचार अमरीका में जा कर खोलता सारा भेद जिस थाली में खाये