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kewal sethi

भागम भाग

भागम भाग


- पिता जी, मैं अपने प्रेमी के साथ भाग रही हूॅं।

- गुड, वकत भी बचे गा और पैसा भी

कुछ रुक कर

- लेकिन जाओं गी कैस

- ममी के साथ

- ममी छोड़ने जा रही है क्या

- नहीं, वह भी भाग रही है

- उसी प्रेमी के साथ

- नहीं, जैसे एक मयान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं, वैसे ही एक प्रेमी की दो

प्रंेमिकायें कैसे हो सकती है।

- तो वह अपने प्रेमी के साथ भाग रही है जो अलग है। पर मेरा सवाल तो रह ही गया। जाओं गी कैसे?

- ममी ने कुछ सोच रखा हो गा।

- ऐसा करो, मेरी कार ले जाओ।

- क्या आप भी साथ आ रहे हैं।

- नहीं। कार में चार ही बैठ सकते हैं।

- फिर बिना कार के आप क्या करों गे

- ओला, उबेर का ज़माना है। काम चल जाये गा।

- औला उबेर तो ठीक है पर घर का काम?

- कुछ दिन होटल में, फिर देखें गे। कुछ इंतज़ाम हो जाये गा।

- आप की प्रेमिका आ जाये गी क्या? कौन है?

- अरे तौबा, एक की फरमाईशों से ही दम खुश्क हो जाता है। दूसरी से राम बचायें।

- आप कहो तो कुछ दिन रुक सकते हैं।

- नहीं, नहीं।शुभ काम में देरी नहीं करते। कौन जाने कल क्या हो।

- क्या हो सकता है। हम तो कमिटिड हैं।

- कुछ भी हो सकता है। तुम्हारा प्रेमी ममी का प्रेमी हो जाये। ममी का प्रेमी तुम्हारा प्रेमी हो जाये। जो काम हो जाये, वही ठीक है। तुरन्त दान महा कल्याण।

- अच्छा तो मैं चलती हूॅं। ममी इंतज़ार कर रही हों गी।

- कहॉं?

- बाहर, और कहॉं, कार में।

- कौन सी कार?

- आप की, और किस की।

- पर चाभी तो तुम्हारे हाथ में है।

- दो चाभी होती हैं कार की।

- ओह!

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