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श्री सुमन्त की सार्वजनिक हित याचिका राजकीय सर्वोच्च पंचायत ने विचारार्थ स्वीकार कर ली है तथा राजा दशरथ, श्रीमती कैकेयी राघव, श्री राम राघव तथा श्री भरत राघव को नोटिस दिया गया है कि वे पंचायत के समक्ष उपस्थित हो कर अपना पक्ष रखें।
श्री सुमन्त ने अपनी याचिका में कहा है कि राजा दशरथ द्वारा अपनी पत्नि कैकेयी को दिये गये वचन एक निजी इकरारनामा था जिस को कोई सम्बन्ध उन के राजकीय दायित्व से नहीं है। इस कारण इस के अन्तर्गत ऐसा आदेश पारित करना अवैधानिक है जिस का सम्बन्ध राजकीय कार्य से हो।
उन की यह भी दलील है कि श्री राम राघव हर प्रकार से राजा बनने के योग्य हैं। इस सम्बन्ध में उन्हों ने विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करने का उल्लेख किया। उन्हों ने यह भी कहा है कि जिस प्रकार श्री राम राघव ने शिव धुनष भंजन के पश्चात श्री परशु राम के आक्षेपों का समाधान किया था, उस से उन की राजनैतिक परिपक्वता परिलक्षित होती है। उन का पंचायत से अनुरोध है कि राजा दशरथ के आदेश को निरस्त करते हुए श्री राम राघव को राजा घोषित किया जाये।
प्रकरण की अगली सुनवाई शुक्ल पक्ष की नवमी को हो गी। तब तक के लिये सर्वोच्च पंचायत ने राजा दशरथ के आदेश के कि्रयान्वयन पर रोक लगा दी है।
पंचायत ने श्रीमती सीता राघव तथा श्री लक्ष्मण राघव के बन गमन पर कोई आदेश देने से इंकार कर दिया है तथा कहा है कि इस का कोई सम्बन्ध राजा दशरथ के आदेश से नहीं है। विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा की जा रही है।
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