top of page

बरसात

  • kewal sethi
  • Aug 16, 2020
  • 1 min read

बरसात


इस साल भी बरसात आई

बरसात

यानि कि बाढ़

हर साल की तरह फिर आई

पर यूॅं लगता है

इस साल कलेजा काढ़ आई

काॅंप उठे गाॅंव गाॅंव

आई आई

कौन

अरे वही

साव लाख मन की जिस की एक ग्राही

काली माई

बरसात

हरियाली, खुशहाली,

नहीं महा सत्यानाशी

चारों ओर मचा है हाहाकार

गुसैल थपेड़े लिये हुए बाढ़

कोदों धान सो गए कफन ओढ़ कर

खोे गया भाग्य हमें छोड़ कर

उपेक्षित

अभावग्रस्त क्षेत्र

प्रतीक्षा में

किसी भागीरथी के

किसी महारथी के

जो कर सके नियन्त्रण इन पर

जाने कब हो गा इस का उद्धार

( भोपाल - अगस्त 1971। पृष्ठ भूमि लिखने की आवश्यकता तो नहीं है।)



Recent Posts

See All
व्यापम की बात

व्यापम की बात - मुकाबला व्यापम में एम बी ए के लिये इण्टरव्यू थी और साथ में उस के थी ग्रुप डिस्कशन भी सभी तरह के एक्सपर्ट इस लिये थे...

 
 
 
दिल्ली की दलदल

दिल्ली की दलदल बहुत दिन से बेकरारी थी कब हो गे चुनाव दिल्ली में इंतज़ार लगाये बैठे थे सब दलों के नेता दिल्ली में कुछ दल इतने उतवाले थे चुन...

 
 
 
अदालती जॉंच

अदालती जॉंच आईयेे सुनिये एक वक्त की कहानी चिरनवीन है गो है यह काफी पुरानी किसी शहर में लोग सरकार से नारज़ हो गये वजह जो भी रही हो आमादा...

 
 
 

Comments


bottom of page