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प्याज़ जिन्दाबाद

kewal sethi

प्याज़ जिन्दाबाद


जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि भारत प्रजातंत्र है सब से बड़ा

उन्हें क्या मालूम था कि यह है केवल प्याज़ की कीमत पर खड़ा

आलू प्याज़ के दामों पर से चुनाव में बदल जाया करें गी सरकारें

समाजवाद, साम्यवाद, पूंजीवाद के बोसीदा हो जायें गे सब नारे

1980 में इंदिरा गांधी ने इसी मुद्दे पर दुष्मनों के छक्के छुड़ाए

1998 में सोनिया गांधी ने चुनाव मैदान में इसी पर चौके लगाए

भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं है न बेईमानी पर अब हो सकती है बात

रेवडि़यां जो बटी अपनों में हज़म हो जाएँ गी ले प्याज़ का नाम

मतदाताओं को मूर्ख बनाने को काम में लायें गे नए नए अंदाज़

अवसर मिला था भुनाने का सब नाराज़गी को वह हो जाए गा बरबाद

दाम तो पुराने ढर्रे पर आयें गे पर भाजपा के सपने हो जायें गे चूर

सफलता कितनी पास आती है पर रहती है फिर भी कितनी दूर

कहें कक्कू कवि आईये मिल कर प्याज़ के नाम पर नारा लगायें

खुदा सलामत रखे प्याज़ की कीमत चाहे जान निकल जाए

(16.11.99)


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