top of page

पश्चाताप

kewal sethi

पश्चाताप


चाह नहीं घूस लेने की पर कोई दे जाये तो क्या करूॅं

बताओं घर आई लक्ष्मी का भी निरादर किस तरह करूॅं


नहीं है मन में मेरे खोट क्यॅंू कर तुम्हें मैं समझाऊॅं

पर कुछ हाथ आ जाये तो फिर कैसे बदला चकाऊॅं


सब कुछ कानून के भीेतर हो इस का ख्याल रहता है

कहीं बदनामी न हो जाये, इस का मलाल रहता है।


पर कानून को तोड़ना मरोड़ना नहीं है कुछ दुश्वार

साॅंप भी मर जाये, पर लाठी न टूटे यह है दरकार


लम्बे चैड़े शब्दजाल में सब को इस तरह भरमाऊॅं

दूसरे की भी रह जाये और अपनी बात भी बनाऊॅं


इसी चक्कर में काट दिये दिन आया न कुछ भी हाथ

सोचते सोचते सेवा निवृति आ गई रह गये पाक साफ


कहें कक्कू कवि अब पछताने से क्या हो गा जनाब

बहती गंगा में जब हाथ धोने का न उठा सके लाभ


Recent Posts

See All

दिल्ली की दलदल

दिल्ली की दलदल बहुत दिन से बेकरारी थी कब हो गे चुनाव दिल्ली में इंतज़ार लगाये बैठे थे सब दलों के नेता दिल्ली में कुछ दल इतने उतवाले थे चुन...

अदालती जॉंच

अदालती जॉंच आईयेे सुनिये एक वक्त की कहानी चिरनवीन है गो है यह काफी पुरानी किसी शहर में लोग सरकार से नारज़ हो गये वजह जो भी रही हो आमादा...

the agenda is clear as a day

just when i said rahul has matured, he made the statement "the fight is about whether a sikh is going to be allowed to wear his turban in...

Comentarios


bottom of page