नीति आयोग के आगमन पर
नकली लाल किले से नकली भाषण का ऐसा जादू छाया
असली लाल किले से असली भाषण का सुअवसर आया
मन में था कि कोई बात कहें जो सब के मन को भाये
नवीनता उस में हो ऐसी, पहले किसी से सोची न जाये
सब साथी मिल बैठे, करने लगे आपस में गंभीर विचार
ऐसी बात कौन सुझाये, नई भी हो साथ में हो दमदार
बैठे प्रधान मंत्री उधेड़बुन में थे तभी देखिये कैसा हुआ संयोग
मुख्य मंत्री का आया फोन अड़ंगे डालता है योजना आयोग
फौरन बात समझ में आ गई, १५ अगस्त को कर दिया एहलान
योजना आयोग खतम, किया इस ने राज्यों को बहुत परेशान
योजना आयोग हुआ भंग, सब ने भरपूर खुशी थी मनाई
पर अधिकारी थे परेशान बात यह उन की समझ में न आई
क्या करें गे योजना का अगर योजना आयोग नहीं हो गा
प्रधान मन्त्री ने तो कह दिया है नया विकल्प सही हो गा
नई संस्था के क्या हों गे कर्तव्य हमें तो नये नहीं सूझते
किसी ने कहा सोचा प्रधान मन्त्री ने, उन से ही हैं पूछते
पर प्रधान को भी नहीं था इस के बारे में कोई भान
पर उन की समझ बूझ पर सब ही हो गये कुरबान
राज है यह प्रजा का, निर्णय भी तो प्रजा का हो गा
बतायें हम को कि अब अगला कदम क्या हो गा
कुछ नहीं तो मिल जाये गा सब को सोचने का मौका
कई बार तो इस में ही मिलता है समाधान अनोखा
बात उन की थी बिल्कुल सही, बुद्धिजीवियों ने सोचा विचारा
सुझावों का लग गया ढेर, मसाला इतना, न जाये सम्भाला
इन में से निकाली एक तरकीब, बन गया नीति आयोग
पर इस में नया क्या था यह तो समझ न पाये लोग
जैसे पहले योजना आयोग में वैसे ही थे अध्यक्ष प्रधान मन्त्री
उस के उपाध्यक्ष भी बनाये गये पुराने ढंग के ही अर्थशास्त्री
पहले भी शासन संकल्प से बना था अब भी था वही हाल
संविधान के परिवर्तन, स्वीकृति का नहीं था कोई सवाल
संकल्प के साथ आया जो आदेश वह था इतना लम्बा
पढ़ पढ़ कर सब हार गये, समझ न पाये यह था अच्म्भा
शायद आगे चल कर यह कुछ अपना चमत्कार दिखलाये
कहें के के कवि अभी तो सब ही बैठेे हैं आस लगायेे
भोपाल 19 फरवरी 2015
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