नीना - 4
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नीना निढाल सी सोफे पर गिर पड़ी। कहाॅं तो वह चली थी वह ब्लैकमेल से बचने और अब। उस ने अपने अपमान का बदला तो ले लिया कमल से पर अब जो अपमान हो गा, उस का बदला कौन ले गा। अब वह इसी रास्ते की हो कर रह गई है। है भगवान, कैसी बुरी साईत् में उस ने करमा से सहायता माॅंगने की सोची। पर यह करमा तो सही मालूम देता था। इस का दोस्त लाला ही असल में हरामी है। इसी ने बरगला दिया इसे। पर अब क्या। क्या करमा उस की तरफदारी करे गा। करना होती तो पहले ही न करता। नहीं, यह दोनों की मिली भगत थी। कमल को डराने की। उसे वश में करने की। क्या पहले से ही कमल को मारने की सोची थी। या अचानक ही यह सब हो गया। क्या पहले से सोचा हुआ प्लान था। पर अब वह किस को मुॅंह दिखलाये गी। घर कैसे जाये गी। नहीं नहीं, इस ज़िदगी से तो ज़हर खा लेना अच्छा है। पर इस घर में ज़हर मिले गा कहाॅं। शायद कमल नींद की गोलियाॅं रखता है। कितनी हों गी। वह सारी की सारी साथ ही खा ले तो। लम्बी सदा की नींद आ जाये गी।
वह रसोंई में गई पर कोई डिबिया नहीं मिली जिस में गोलियाॅं हों। शायद कमल अपनी जेब में रखता था। क्या वह उस की जेब देखे। एक लाश की जेब, कल वह उस की लाश - लगभग लाश - से खेलता रहा। आज वह ......
वह सिहर उठी। उसे लगा जैसे कि किसी ने दस्तक दी। नहीं, नहीं, उसे धोका हुआ है। आधे घण्टे का कह गये थे। अभी तो सात आठ मिनट ही हुए हैं। वह जल्दी जल्दी नींद की गोलियाॅं देखने लगी। पर चारों ओर शीशे बिखरे थे। उसे बच बच कर जाना हो गा। कमल की - लाश की जेब देखने के लिये।
तभी दस्त्क फिर हुई। इस में कोई शक नहीं था। कोई दरवाज़ा खटखटा रहा था। क्या किसी पड़ोसी ने सुन लिया। क्या पुलिस को खबर कर दी गई। पर इस तरह धीरे धीरे क्यों खटखटा रहा है। पुलिस इस तरह धीेरे से थोड़े ही खटखटाये गी। क्या करमा, लाला लौट आये पर वह दरवाज़ा क्यों क्षटखटायें गे, उन के पास तो चाबी है। दरवाज़ा अन्दर से भले ही न खुल सकता हो पर बाहर से तो चाबी ही काम करती है।
ओफ खुदा। वह उन दरिन्दगों से बच गई। वह अन्दर नहीं आ सकते चाहै जो भी वजह हो। वह उस की अस्मत से नहीं खेल सकते। अस्मत - वह तो रही ही नहीं। पर, पर। वह पुलिस को तो ख्बर कर सकते हैं। ओह भेगवान।
दस्तक बढ़ती जा रही थी। कोई बहुत जल्दी में था। पर दस्तक सामने के दरवाज़े से नहीं आ रही थी। उस ने ध्यान दिया। वह रसोई के पास ही थी। रसोई का एक दरवाज़ा था। उसी पर दस्तक हो रही थी।
उस ने अचानक फैसला कर डाला। जो हो, अभी से तो बेहतर नहीं तो अलग तो हो गा। इस पार, उस पार। उस ने दरवाज़ा खोल दिया।
11
झटके से अशोक अंदर दाखिल हुआ. झट से दरवाजा बंद किया. मुूंह के ऊपर उंगली रख कर नीना को चुप रहने का इशारा किया. ुिर कमरे की स्थिति का जायजा लिया.
नीना हैरान. यह यहां कैसे. किस ने इसे बताया। क्या यह मेरा पीछा कर रहा था. क्या कल भी इसने मेरा पीछा किया था. सब उसका चेहरा पढ़कर नहीं, जानते हुए कहा था, उस के साथ हुई स्थिति बता रहा था. फिर यहां क्यों, . ऐसे कैसे।
अचानक अशोक ने नीना का पर्स पकड़ा. ड्राअर खोला। उसका माल बटोरा. कीमती चीजें निकाली और उन्हें पर्स में डाल दिया. अंदर बेडरूम में भी उसने वैसे ही तलाशी ली. सब चीज बिखेर दीं. उलट पलट कर दीं।
एक दो मिनट में यह सब हो गया. अशोक नीना के पास आया. फिर से चुप रहने का इशारा किया और कहा. सावधानी से निकलकर ऊपर की दो मंजिल पर सीढ़ियों से जाओ. इंतज़ार करो. थोड़ी देर बाद लिफ्ट बुला कर आना। मैं इस मंज़िल पर उसमें आ जाऊंगा. जल्दी नहीं. जैसे दो दोस्त जा रहे हों। जल्दी. कोई देखे ना देखें तो मुस्कुराना नहीं।
मीना को धक्का देकर उस ने बाहर कर दिया. नीना सीढ़ी चढ़ गई. 2 मंजिल. लिफ्ट आई और उस में दाखिल हो गई। नीचे की मंजिल पर अशोक लिफ्ट में दाखिल हुआ. उस ने उस के हाथ में हाथ डाल लिया. नीना सकुचाई लेकिन हाथ ना खींच पाई. अशोक बिल्कुल ऐसे लग रहा था जैसे पुराना प्रेमी हो. बात करता हुआ निकल गया। किसी ने देखा नहीं. देखा भी तो ध्यान नहीं दिया।
टैक्सी पकड़कर वह बाजार में आ गए.
अशोक ने कहा —मेरे पास ड्रामे की दो टिकट हैं अभी इंटरवल होने वाला है. उसी में चलते हैं।
देखो, तुमने कभी उस फ्लैट को नहीं देखा. उसके बारे में किसी को नहीं बताया. सब बातें भूल जाओं और हां, आस पास फोन है क्या
क्यों?
पर है क्या?
जोशी साहब के यहां है
उन्हें फॉन कर इतना कह दो कि तुम किसी सहेली के साथ - नम ले लेना- जो पास में रहती हो , हम लोग ड्रामा देख रही हें. देख रही हो, देखो गी नहींं।
पर इसकी क्या जरूरत है. मैं कह कर आई हूं कि देर से आऊंगी
जरूरी है. बाद में मैं समझा दूंगा. अभी चुपचाप मेरी बात मानती जाओ
हो गया फोन
एक बार फिर उस ने कहा कि जैसे मैं कहूं वैसे ही करते जाना, भुलना नहीं
थिएटर में इंटरवल समाप्त होने वाला था. हम लोग अंदर जा रहे हैं।
अशोक और नीना साथ साथ अंदर दाखिल हुए।
नीना ने देखा कि उसके पास ई रो की टिकटें हैं पर वह एफ रो में जा रहे हैं. पर उसे चुप रहने को कहा गया था. वह बोली नहीं। थोड़ी देर में एु रो वाले व्यक्ति आ गए। थोड़ा झगड़ा हुआ। फिर उशर द्वारा आ का टिकट देखकर बात सुलझा दी गई
नीना कुछ कुछ समझ रही थी. यह अशोक का थिण्टर में हाजिरी लगाने का तरीका था. क्या इंतजाम पहले से ही था, अिकटें उसके पास थी. परन्तु वह थिएटर में ना होकर कहीं और था. उसके पीछे जासूसी करता हुआ. उसकी मजबूरी का फायदा उठाने के लिए या फिर उसका अंगरक्षक बनकर, गार्डियन एंजेल बनकर
ड्रामा समाप्त हुआ. लोकल से वे अपने यानी नीना के घर की ओर चले. खिड़की के पास बैठा अशोक. नीना का पर्स अपने हाथ में ले लिया . एक एक कर कर पर्स की चीजें बाहर जाने लगी मैंने अंधेरे में. चलो क्या त तक भी होगी वह चीजें, किस को मिलेगी, घड़ी भी चकनाचूर हो गई होगी या किसी के हाथ में सजी होगी और टाइपिंन और…….
नीना का घर आ गया था। गली के बल्ब भी तो टिमटिमा रहे थे। क्या करना अपनी रोजमर्रा की जगह पर होगा. , नहीं, वह जगह तो खाली थी. कल वह उस जगह पर होगा. वह क्या करेगी. करमा क्या करेगा. लाला उसे फिर मिलेगा क्या. जब करमा और लाला वापस आए होंगें। फिर वह अंदर गए होंगे पर शिकार तो जा चुका होगा. क्या उन्होंने पुलिस को बताया होगा. क्या वह इसकी हिरासत में होंगे. …… ढेर सारे. . कितने प्रश्न थे, इतने ढेर सारे कितने थे. और उनका उत्तर किसके पास था. समय के पास, इस के पास, उस के पास. अशोक क्या है. अब से सही मोड़ ले लिया है. . इसलिए. करमा, लाला उसे देख लेते तो. बाहर था झगड़ा नहीं करतें। अशोक को कभी कोई खतरा नहीं था. वह तो उसे जानते भी नहींं पर उसे. उफ, भूल जाओं यह सब कुछ. अशोक ने कहा था। भूल जाओ कोई फलेट था. भूल जाओ कोई घटना घटी थी. और क्या इन को भुलाया जा सकता है. समय बताये गा अवश्य। भुला दिया जाए. , करमा, लाला, अशोक, पुलिस, तुझे भूलने देंगे क्या.
वह घर के सामने खड़ी थी
विश यू गुड लक - अशोक ने कहा था. ओर अचानक उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए थे. अपने को परे नहीं हटाया पर जरा सा सरकी
गुड नाइट — अशो ने कहा था
एक के चंगुल से बचकर दो के चुंगल में फंसी और फिर दो से बचकर दोबारा एक के चुंगल में फंस गई, बेसाख्ता पूछ बैठी नीला.
जवाब में अशेाक में कॉल बेल पर उंगली रखते हुए कहा गुड नाइट और तेजी से अंधेरे में गुम हो गया।
आ गई तुम उस ने मां को कहते सुना
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