top of page

नीना — भाग 9

  • kewal sethi
  • Sep 28, 2024
  • 5 min read

नीना — भाग 9


15.

अब लाल जी को नीना से बात करना ही एक मात्र रास्ता दिखा। वह नीना से मिले और उसे वह फोटो दिखाई जो वह पवन से ले कर आये थे। नीना उसे देख कर अचानक अपना नियन्त्रण खो बैठी जो उस ने अभी तक बनाये रखा हुआ था तथा हर बात का बड़े सोच समझ कर जवाब दे रही थी। उस ने अपना पूरा किस्सा सुनाया। इस का विवरण अलग से दिया जा रहा है। (भाग एक से चार)


15.

पूरा किस्सा सुनने के बाद लाल साहब ने केवल एक बात पूछी। कत्ल के अगले रोज़ की बात। क्या वह कार्यालय आई थी। नीना ने हॉं में जवाब दिया। वह रात भर इस के बारे में सोचती रही थी। अषोक ने कहा था कि भूल जाओे कि कोई फ्लैट था। कोई बात हुई थी। और उस ने आखिर यही करने का सोचा। इस कारण वह अगले दिन रोज़ की तरह ही दफतर गई। कमल नहीं आया था पर इस से दफतर में कोई परेषानी नहीं थी। ऐसा होता ही था।

क्या उस ने करमा को देखा था, लाल साहब ने पूछा। हॉं वह अपनी रोज़ मर्रा वाली जगह पर ही बैठा था। पर कोई बात उस से नहीं हुई। न ही करमा ने कोई बात की। न केवल उस रोज़ बल्कि उस के बाद भी। कभी कभी वह नमस्ते भी कर लेती थी और उस का जवाब भी मिल जाता था। शायद वह भी फ्लैट की बात भूल गया था या उसे भूलना ही बेहतर समझा था।

और अषोक? उस से इस बारे में कोई बात कभी नहीं हुई। पहले की ही तरह थे। चाय भी हो जाती थी और एकाध बार मूवी या नाटक देखने भी गये थे।

अषोक अब उप प्रबंधक था। उस की प्राबेषन समाप्त हो गई थी। नया प्रबंधक आ गया था और वह अपने पद पर पूर्ववत काम कर रही थी।

लाल साहब पषोपेष में थे। अब करमा और लाला के बारे में पता लग गया था परन्तु यह भी स्पष्ट था कि उन का इरादा कत्ल का नहीं था। वह तो बस मारपीट करने का ही इरादा रखते थे। लाल साहब ने उन से बात चीत करना मुनासिब नहीं समझा तब तक वह ज़रूरी न हो। नीना की बात से यह तो ज़ाहिर होता था कि उस का इरादा नीना के साथ दुर्व्यवहार का नहीं था नहीं तो वह नीना को आधे घण्टे का समय क्यों दिलाता। लाला ही असली बदमाष लगता था पर करमा ने उसे रोकने की कोषिष की। पूरी बात में करमा तो लगभग निर्दोष ही था। उस का बाद का व्यवहार भी वैसा ही था। पर लाला को पकड़ा जाये गा तो करमा भी साथ ही आये गा। करमा आये गा तो नीना भी आये गी।

कमल के बारे में उन के विचार हमदर्दी वाले नहीं थे। उस की मृत्यु से और भी कई लड़कियॉं ब्लैक मेल से बच गई थीं। उस के जाने से किसी को परेषानी नहीं थी। उस की बीवी ने ऐसा आभास नहीं दिया था कि वह बड़ी वेदना में है। उस का अपना काम था और वह उस में व्यस्त थी। शायद लाल साहब से जांच कराना केवल एक जिज्ञासा थी जिसे वह षॉंत करना चाहती थी।

एक बात के बारे में वह सोचता रहा। जब करमा और लाला लौटे हांगे तो षिकार को न पा कर क्या सोचा हो गा। क्या वह उन के बारे में पुलिस को बतायें पर इस की सम्भवना कम थी क्योंकि वह भी तो शामिल थे। और फिर कमरे की हालत देख कर लगता था कि कोई साथी भी था नीना का। ऐसे में साफ था कि वह कोई जाेिखम उठाने की स्थिति में नहीं थे। यह तो उन की समझ थी कि चाकू फिंगर प्रिण्ट सब साफ कर दिये। अगर वह साफ मुकर जायें कि वह कहीं आस पास भ्ी नहीं थे तो सिवाये नीना के ब्यान के कोई प्रमाण नहीं था और नीना ऐसा ब्यान दे गी नहीं क्योंकि वह भी बराबर की कसूरवार थी।

इसी सोच विचार में कई दिन गुज़र गये।


16.

कमल की बीवी को लाल जी समय समय पर अपनी रिपोर्ट देते रहते थे। इस बार भी वह मिले तो कमल की बीवी ने पूछा- कुछ पता चला या आप भी पुलिस की तरह ही अनजान रहे।

लाल जी ने कहा कि उन्हें पता तो लग गया है पर वह बताने में असमर्थ हैं।

ऐसी क्या बात है - कमल की बीवी ने पूछां।

लाल जी बोले कि उन्हें यह जान कर दुख हो गा कि उन के पति का चाल चलन अच्छा नहीं था। वह एक साथ कई जिंदगी जी रहा था। वह दूसरे नगर में सुमित के नाम से रहता था, जहॉं उस का अपना व्यापार था। इसी कारण वह कई दिन तक घर नहीं आता था। और अपने दफतर भी नहीं जाता था।

पर एक पहलू और भी था। वह एय्याश था और लड़कियों को धेाका दे कर उन्हें ब्लैकमेल कर उन का फायदा उठाता था। इसी लिये उस ने इसी काम के लिये अपना अलग घर ले रखा था। जिस के बारे में वह किसी को नहीं बताता था।

कितनी लड़कियों को उस ने धोका दिया और उन की जिंदगी बरबाद की, यह वह नहीं कह सकते। और इस के बारे में जानना या बताना आवश्यक भी नहीं है।

उन्हीं लड़कियों में से एक ने उसे सबक सिखाने के लिये उस की पिटाई का सोचा था पर मामला बिगड़ गया और हत्या तक बात आ गई। स्वयं उस लड़की की मंशा कत्ल की नहीं थी, न ही उस के सा​थियों की थी। किस ने किया, यह पता तो है पर इस में अगर आगे की कार्रवाई की जाये तो उस लड़की का जीवन बरबाद हो जाये गा।

उन्हों ने कमल की बीवी को इतना कहा कि कमल को तो अपने किये की सज़ा मिल गई पर किसी दूसरे का जीवन बरबाद करने का क्या मतलब। और जब बात खुले गी तो एक नहीं, कई लड़कियॉं इस में आ सकती हैं। पुलिस ने केस के ठण्डे बस्ते में डाल दिया है, उसे वहीं रहने दिया जाये। अगर एक बार फिर केस खुला तो पुलिस रुके गी नहीं। उस का अंजाम सही नहीं हो गा।

उन्हों ने सुझाव दिया कि इस घटना को वहीं तक रहने दिया जाये और आगे कुछ न किया जाये।

उन्हों ने यह भी कहा कि इस के लिये वह सिवाय अपने मामूली से खर्च के कोई फीस नहीं लें गें क्योंकि उन्हें उन सभी लड़कियों से हमदर्दी है जो कमल का शिकार बनीं। और वह उन्हें और कष्ट देना नहीं चाहते। पवन के बारे में कमल की बीवी को बताया ओर कहा कि वह उस से फोटो डैव्यलप करने अक्सर आता रहता था। पवन की शनाख्त पर तथा इस बात पर कि मकान के कागज़ कमल के लाकर में थे, वह मकान तो उस को मिल जाना चाहिये।

कमल की बीवी ने यह सुझाव स्वीकार कर लिया।

Recent Posts

See All
पहचान बनी रहे

पहचान बनी रहे राज अपने पड़ौसी प्रकाश के साथ बैठक में प्रतीक्षा कर रहा था। उन का प्रोग्राम पिक्चर देखने जाना था और राज की पत्नि तैयार हो...

 
 
 
खामोश

खामोश जब से उस की पत्नि की मृत्यु हई है, वह बिल्कुल चुप है। उस की ऑंखें कहीं दूर देखती है पर वह कुछ देख रही हैं या नहीं, वह नहीं जानता।...

 
 
 
 the grand mongol religious debate

the grand mongol religious debate held under the orders of mongke khan, grandson of chengis khan who now occupied the seat of great khan....

 
 
 

Commentaires


bottom of page