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kewal sethi

नीना — भाग 5

नीना — भाग 5


एस पी विनोद ने दाखिल होते ही पूछा- वह अंधे कत्ल का कुछ पता चला?

- जी नहीं, इंस्पैकटर सादिक ने कहा।

- कोई गुमशुदा व्यक्ति के बारे में सूचना?

- दो तीन रिपोर्ट आई थीं पर कोई काम की नहीं थीं। उम्र नहीं मिलती थी। न ही कद काठी। आज एक रिपोर्ट आई है जो कुछ सही दिशा दे सकती है। कमल मल्होत्रा कई दिन से अपने दफतर नहीं आ रहे हैं। उन का कोई सन्देश भी नहीं आया है।

- उन की बीवी से बात की?

- जी हॉं, उस ने बताया कि वह कई बार बिना बताये दौरे पर चले जाते हैं। कभी चार रोज़, कभी अधिक बाहर रहते हैं और उन की कोई खबर भी नहीं मिलती। शुरू में वह दफतर फोन कर बात कर लेती थी पर अब छोड़ दिया है।

- उन से लाश की शनाख्त तो करा ली जाये। शायद कोई सुराग मिले। उन के दफतर से पता किया क्या।

- दफतर भी नहीं गये वह कई दिन से। उप प्रबन्धक काम देख रहे हैं पर वह भी चिन्तित नहीं दिखे। पर अभी कुछ चैक पर हस्ताखर चाहिये थे क्योंकि वह उपप्रबन्धक के अधिकार से अधिक राशि के थे। इस कारण घर पर बात की और वहॉं न पा कर गुमशुदगी की रिपोर्ट की।

- अजीब बात है। आदमी गायब है और न बीवी को, न दफतर को कोई फिकर है। लगता है सिरफिरा आदमी हो गा। और उंगलियों के निशान भी तो इतने हैं जैसे वहॉं महाभारत हुआ हो। किस किस से मिलान करें। खैर, उस औरत से शिनाख्त तो करा लो।

- जी बेहतर।


2.

ल्गता है कि अब बताना पड़े गा कि उपरोक्त बातचीत किस प्रकरण के बारे में थी।

प्रकरण इस तरह है।

कमिनी चार पॉंच घरों में बर्तन सफाई का काम करती थी। चार घर तो सामान्य थे पर पॉंचवॉं अलग प्रकार का था। उस के मालिक को उस ने एकाध बार ही देखा था। एक बार तब जब उस ने उसे काम पर रखा। उस ने बताया था कि उस का काम उसे अक्सर बाहर ले जाता है तथा वह कभी कभी ही आ कर वहॉं रहता है। उसे घर हमेशा साफ सुथरा मिलना चाहिये। जहॉं तक उस की पगार का सम्बन्ध है, वह उसे पहली तारीख को बैठक के मेज़ पर पड़ी मिल जाये गी। पगार बाकी घरों जितनी ही थी पर काम कम था। बस आ कर वह झाड़ू पौंचा कर जाती थी। उस के आने का रास्ता अलग था, जिस की चाबी उसे दे दी गई थी। कभी कभी ही उसे कुछ बर्तन रसोई में मिल जाते थे अन्यथा सिर्फ सफाई का काम ही रहता था।

हमेशा की तरह वह उस रोज़ भी आई।ं रसोई वैसे तो साफ थी पर दो एक कप रखे हुये थे। चाय बनाई गई थी। पर और कुछ नहीं। जब कमरे में घुसी तो चीख पड़ी। सब ओर चीजें बिखरी पड़ी थी। कुर्सियॉं उलटी सीधी थीं और उन के बीच वह व्यक्ति पड़ा हुआ था। एक चाकू उस के सीने में था। वह उलटे पॉंव भागी। बाहर जैसे ही कोई्र आदमी दिखा, उस ने उसे कमरे की हालत के बारे में बताया। उस व्यक्ति ने आधी बात सुनी और फिर अपने घर में प्रवेश कर पुलिस को फोन कर दिया। कामिनी अभी भी थर थर कॉंप रही थी। उसे बिठाया, चाय पिलाई और इंतज़ार करने को कहा।

पॉंच दस मिनट में पुलिस इंस्पैक्टर तथा दो सिपाही आ गये। कामिनी से सवाल जवाब किये। उस ने अपनी बात बताई। कामिनी के पास चाबी थी। उसी से दरवाज़ा खुलवाया। कमरे को देख कर वह भी भौंचके रह गये। सारा सामान उलट पलट था। लगा था कोई व्यक्ति किसी खास चीज़ की तलाश में था। उसे मिली अथवा नहीं, यह स्पष्ट नहीं था क्योंकि सभी कमरों का यही हाल था। बैठक में बीचों बीच लाश थी जो देखने से लगती थी कि कई रोज़ पुरानी है। कुर्सियॉं मेज़ उलटे सीधे थे।

पुलिस इंन्सपैकटर ने थाने में फोन कर डाक्टर, फोटोग्राफर, फिंगरप्रिण्ट विशेषज्ञ को भेजने को कहा। इतना करने के बाद वह वापस बाहर आ गये। बदबू के कारण बैठना भी सम्भव नहीं था। और मतलब भी नहीं था।

इस के बाद पड़ौसियों से पूछ ताछ आरम्भ हुई। कोई भी पड़ौसी कोई जानकारी देने में असमर्थ रहा। कौन व्यक्ति था, क्या काम करता था। पता नहीं। कब आता था, कब जाता था, पता नहीं। कार पार्क में देखा गया। एक कार पर अधिक धूल थी पर किस की थी, कोई बता नहीं पाया।

यह सब चल रहा था तो दूसरा पुलिस दल आ पहूॅंचा। उस ने अपना काम आरम्भ किया। फिंगर प्रिण्ट लिये गये, फोटो लिये गये। और फिर लाश को पोस्ट मार्टम के लिये ले जाया गया।



3,

थानेदार अपनी रिपोर्ट के साथ एस पी के सामने हाज़िर हुआ।

- सर, बीवी ने शिनाख्त में बताया है कि लाश कमल की ही है। उन के बारे में पता किया गया। वह गत बुधवार क बाद दफतर नहीं आये। उन को आखिरी बार वाडिया उद्योगपति के यहॉं देखा गया था। उन के साथ बैठक थी। कुछ जल्दी में थे, इस कारण बैठक लम्बी नहीं चली। छह बजे करीब वहॉं से निकले। अकेले थे।

- उस के बाद किसी ने देखा।

- जी नहीं। कोई सामने नहीं आया।

- कार पर थे तो कार कहॉं गई।

- अमृत भवन में ही एक कार थी जिस पर काफी धूल जमी हुई थी। दफतर के आदमी ने बताया कि यह कमल की ही कार थी। कम्पनी की ओर से दी गई थी।

- और वह फलैट।

- वह किसी और के नाम पर था। कमल के नाम पर नहीं। चार पॉंच साल पहले पुराने मालिक से खरीदा गया था। पता कम्पनी का ही दिया था। घर का नहीं।

- क्या नाम था उस काम वाली बाई का। शायद कामिनी। उस का क्या कहना है। कुछ काम की बात पता चली।

- जी नहीं।

- उस की बीवी से पूछा उस मकान के बारे में।

- उस को भी इस के बारे में कुछ पता नही। वह कभी वहॉं गई नहीं। उस के बारे में कभी बात ही नहीं हुई।

- तो इस का मतलब यह हुआ कि यह व्यक्ति दो जिंदगी जी रहा था। बीवी को बतला दिया, दौरे पर हूॅं और रहा दूसरे मकान में। वहॉं कोई रखैल होना चाहिये थी पर ऐसा लगता नहीं। एक बार फिर तलाशी लो उस मकान की और देखों कोई अवैध कोकीन वगैरा तो नहीं रखी। कोनों में भी देखना पड़े गा।

- जी सर।

- और हॉं, उस के दफतर के लोगों से भी बात करो। कोई नशा करता था क्या। कैसा व्यवहार था। किस किस से अधिक पहचान थी। प्रबंध संचालक से भी बात करो। उन के बारे में भी पता लगाने की कोशिश करों कि कोई अवैध कारोबार तो नहीं था।

- जी बेहतर

- और हॉं, एक बात और याद आई। देखों उस के नाम कितने का बीमा था। हो सकता है उस के कारण ही यह कल्त हुआ हो।

- सर, उस में तो उस की बीवी का ही फायदा हो सकता है।

- हो सकता है पर पहले पता तो करना हो गा कि उस का फायदा इस में था।

- जी, सर

- डाक्टर का क्या कहना था। कितनी पुरानी लाश थी।

- चार एक दिन

- मतलब आठ को हमें इतलाह मिली तो खून चार को हुआ। गवाहों से पूछो तो यह भी पता लगाना कि चार तारीख को शाम को कहॉं थे। शाम के छह बजे तक तो वह अपने प्रबंध संचालक के पास था।


4.

तफतीश आगे बढ़ी पर कोई खास बात पता नहीं चली। उस की बीवी तो एक पार्टी में पूरी शाम रही थी। उस के गवाह तो बहुत से थे। हो सकता है, उस ने किराये के आदमी से कत्ल करवाया हो। पर उस का कहना है कि उसे इस घर के बारे में कुछ मालूम ही नहीं था। पर यह तो हो सकता है कि किराये के लोग दफतर से ही पीछा कर रहे हों। दूसरी तरफ बीवी की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वह पैसे के लालच में कत्ल करवाये बल्कि उस की हैसियत उस के पति से अधिक थी। बीमा उस के नाम से था यानि वह नामज़द थी पर राशि इतनी नहीं थी कि पत्नि की दौलत में बहुत इज़ाफ़ा हो जाता।

दफतर में पूछ ताछ में सब के पास ब्यान थे कि कौन कहॉं था। छह बजे के बाद ज्यादातर लोग तो अपने घर चले गये थे। उन के पड़ौसियों ने इस बात की ताईद की थी। उन में से किसी पर शक करने की गुंजाईश नहीं थी। और उन के पास कोई्र ऐसी वजह भी नहीं थी जो कत्ल करने की प्रेरणा हो।

कमल की कोई वसियत भी नहीं मिली। उस की एक मात्र वारिस उस की बीवी ही थी। विज्ञापन दिया गया पर किसी ने दावा पेश नहीं किया। सुराग देने वाले को ईनाम की घोषणा की गई पर कोई आगे नहीं आया।

सारी तफतीश से ऐसी कोई बात सामने नहीं आई थी कि कोई केीमती वस्तु गायब हुई हो, अगर कोई अभिलेख न हो। पर वक्त बीत गया और उस अभिलेख, यदि था तो, का लाभ उठाने के लिये कोई सामने नहीं आया। कमरे की फिर से तलाशी ली गई थी पर कोई अवैध वस्तु वहॉं नहीं मिली थी। शराब थी, कुछ नमकीन था। एकाध बोतल दवाई की थी। घर में कोई प्रतिबंधित वस्तु भी नहीं मिली। सिर्फ शराब की कई बोतलें थीं। या कुछ नमकीन।

मकान सुमित के नाम से था। उस के लिये इश्तहार निकाला गया पर कोई सुमित सामने नहीं आया। घर की मालकियत की बात होती तो वसियत के लिये कोर्ट के सामने मामला आता। पर किसी ने उस घर पर दावा नहीं किया।

परन्तु इस में भी एक पेच था। घर में प्रवेश जिस ने किया, उस को मेहनत नहीं करना पड़ी। कोई खिड़की दरवाज़े ऐसे नहीं थे जिन को नुकसान पहुूंचा हों मतलब प्रवेश दोस्ताना था। तो क्या कमल के साथ कुछ लोग थे जिन से बाद में झगड़ा हुआ और जुर्म किया गया।

मतलब यह कि कोई भी काम का सुराग पुलिस को नहीं मिल पाया। न कोई व्यापार का पेच, न अवैध व्यापार। वक्त के साथ यही निर्णय करना पड़ा कि आगे तफतीश का कोई फायदा नहीं है। कभी कोई इतलाह मिले गी तो देखा जाये गा। पूरी स्थिति देखते हुये लगा कि मामला लूट का लगता था जिस दौरान कमल वहॉं आ गया और उस की हत्या करना पड़ी, ऐसा प्रतीत होता था और यही निर्णय पुलिस ने कबूल कर लिया था। तफतीश ठण्डे बस्ते में चली गई।

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