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kewal sethi

नाराजी

नाराजी


- मैं अपने ब्वाय फ्रैण्ड से बहुत नाराज़ हूॅं।

- क्यों? क्या हो गया?

- उस ने मुझे मोटी कहा।

- अरे, तुम्हें?

- क्या मैं मोटी हूॅं।

- तुम को। 41 किलो की लड़की को मोटी कहा। छि छि छि।

- अब मैं उस से कभी नहीं बोलने वाली।

- इतने दिनों की दोस्ती के बाद। कब मिली थी उस से पहली बार।

- आज सुबह

- आज सुबह? ओर शाम को नाराज़ हो गई। भई, कमाल है। चअ मंगनी, पट ब्याह तो सुना था। पर चट मुलाकात, पट नाराज़ी, यह तो नई बात है। हुआ क्या? कहॉं मिली उस से?

- आज सुबह पार्क में। वह भी टहल रहा था, मैं भी टहल रही थी। टक्राते टकराते बचे। उस ने भी सारी कहा, मैं ने भी सारी कहा। फिर टक्कर न हो जाये, इस लिये फिर एक ही दिशा में चलने लगे।

- और फिर बात करने लगे।

- हॉं। अब चुप चुप तो साथ नहीं चल सकते थे न

- फिर उस ने अपना नाम बताया, और तुम ने अपना नाम बताया।

- हॉं, बिल्कुल

- ओर फिर कहा कि वह रोज़ इसी वक्त पार्क में आता है। और तुम ने भी कहा कि तुम भी इसी वक्त रोज़ आती हो।

- हॉं, आप तो ऐसे जानते हैं जैसे वहीं पार्क में ही थें।

- हम तो भई, दूर दृष्टि रखते हैं। घर बैठे ही सब जान जाते हैं।

- तो बताईये, आगे क्या हुआ।

- तुम शाम को फिर पार्क में गईं और वह भी वहीं था।

- सही

- फिर बातें हुईं।

- पर क्या बात?

- वह ऐसा है कि मैं ज़रा ऊॅंचा सुनता हूॅं, इस वजह से बता नहीं पाऊॅं गा। नाराज़ी वाली बात तो तुम्हें ही बताना पड़े गी।

- हम बातें कर रहे थे

- बीच में तुम हॅंसी थी क्या।

- नज़र तो आप की तेज़ है। सुना नहीं पर देख लिया।

- पर हंसी क्यों थी।

- उस ने कहा ज़बान देखी है।

- ज़बान? कौन से ज़बान। हिन्दी, पंजाबी, अंग्रेज़ी।

- अरे नहीं, वह नहीं। हम तो मूवी की बात कर रहे थे।

- औह, मूवी। तो उस ने पूछा हो गा तुम ने जवान मूवी देखी है।

- पर उस ने ज़बान कहा।

- ओर तुम हंसी यह सुन कर

- हंसी तो आ ही गई

- और इस बात पर उस ने मोटी कहा।

- बिल्कुल। भला यह भी कोई बात हुई।

- अरे, ज़रा सम्भल के। उस ने मोती कहा हो गा।

- मोती क्यों?

- तुम्हारे दॉंत मोतियों जैसे हैं न, इस कारण।

- अरे, ऐसा क्या?

- जवान को ज़बान कह सकता है तो मोती को मोटी क्यों नहीं।

- समझी

- तो कल सुबह मिल रही हो न आशु से

- आशु? आप को कैसे पता, उस का नाम आशु है।

- उसी ने बताया।


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