दोषी कौन
मंच पर आसीन व्यकित की भाषा थी ज़ोरदार
उन के अंदेाज़े ब्यां में भी था गज़ब का इज़हार
हिन्दी बढ़ नहीं पाई देश में यह सभा का था विषय
किस किस को दोष दें इस पर लिया जाना था निर्णय
जनता के प्रतिनिधि हैं हम उन की कहना हमारा अधिकार
हम ने हर मंच से की है कड़े शब्दों में इस के लिये पुकार
समाचार पत्रों, पत्रिकाओं के माध्यम से हम करते रहे ललकार
बोले वे जो थे लम्बे समय से कई विभिन्न पत्रों में पत्रकार
हम तो स्वयं सेवक थे, सब बहुत उत्तम हमारे विचार
किसी की हां न से, पूछ परख से कहां था हमें सरोकार
गरज़ सभी के सभी थे जोश में, तर्क सभी के दमदार
पर दोषी कौन है इस पर भी तो करना था विचार
समझ में न आया कुछ तो व्यूरोक्रैट नज़र आया
इस को ही उत्तरदायी ठहरायें यह उन के मन भाया
कोई नहीं था मंच पर जो करता इस का प्रतिकार
सभी ने कर लिया एक मत से इस बात को स्वीकार
खुश हो लेते हैं सब वक्ता दोष किसी पर टाल कर
कहें कक्कू कवि, देखता है कौन अपने गरेबां में झांक कर
16.6.2012
Commentaires