चुनावी चर्चा
बैठक में जब मिल बैठे लोग लुगाई चार
होने लगी तब चल रहे चुनाव की बात
पॉंच राज्यों में चुनाव की मची है धूम
सब दल के नेता चारों ओर रहे हैं घूम
किस का पहनाई जाये गी वरमाला
किस सर सेहरा बंधे गा फूलों वाला
हर एक की थी अपनी राय अपनी सोच
सब ने लगाई अपने अनुमानों की दौड़
पोलराईज़ेशन के हैं दिखते सारे आसार
शायद इसी से हो गी चुनाव नैया पार
किसान बहुत नाराज़ हैं दें गे गहरी घात
पर शायद गुंडागर्दी रुकने से बने गी बात
किसी ने कहा चाहे हो जो भी अंजाम
माहौल बिगाडना नहीं रहा कोई थाम
इतनी नीचे स्तर गिरे गा, यह तकलीफ
इस दाम मिली भी तो क्या हो गी जीत
बस नफरत ही फैलाते हैं इन के सारे बोल
कभी मज़हब कभी जाति का बजाते ढोल
कुछ ने कहा बिखर जाये गे मुस्लिम वोट
भाजपा को नहीं, अपनों को दें गे चोट
पैसे की यह सब माया है एक ने फरमाया
और पैसा तो है बस सत्ता दल ने ही पाया
किसी का मत था आप दल लगाये गा सेंध
पंजाब में, गोवा में उन के चल रहे अच्छे पेंच
उत्तराखण्ड में भी वे शायद आ जाये ऊपर
ख्ेाल बिगाड़ने को उन को मिले गा अवसर
अमरिन्दर क्या कमल उगा पाये गे पंजाब में
चन्नी कॉंग्रैस की किश्ती खे लें गे सैलाब में
बोले एक मान अब नहीं कामेडिन न शराबी
उस की बात में दम है मान लें गे पंजाबी
रैलियों पर रोक कुछ को अच्छी लगी बात
शोर शराबा कम हो तो वोटर पाये आराम
एक ने कहा कि रैलियॉं तो होती ही हैं बेकार
अमरीका में नहीं निकलती यह एक भी बार
सब टैलीवीज़न पर ही हो, उन का ख्याल
शॉंति हो चारों ओर, न कोई शोर न बवाल
या फिर आन लाईन ही हो सारा मतदान
जो भी चाहे ज़ोर लगा कर मार ले मैदान
न पुलिय कंट्राल चाहिये न बूथ की ज़रूरत
जल्दी में निपट जाये निकालें ऐसा महूरत
जाने कैसे बात ने रुख पलटा आया नया विचार
चुनाव की सब गड़बड़ी में है छाया भ्रष्टाचार
अगर कारपोरेट पर ऐसा फंदा जाये डाला
किसी को दे कर चंदा न कर पायें घोटाला
एक विचार था डिजिटल करंेसी औषध महान
किस ने किस को दिया हो जाये गी पहचान
ब्लाकचेन ही है सब मुसीबतों का समाधान
सब जानें गे कौन था हम में से बेईमान
पर किसी ने कहा नहीं यह कोई इलाज
फ्रण्ट कम्पिनियॉं बन जायें गी बेशुमार
इतना घुमायें गी हो जाये गी सरकार परेशान
जब तक पता लगा पायें हो जाये गा बंटाधार
एक ने कहा हैद्राबाद से एक सर्वे है आया
पॉंचों ही राज्यों में हो गा भाजपा का सफाया
पर अन्य उत्तर प्र्रदेश को मानते थे इस से बाहर
कम सीट मिलें शायद पर नाव हो जाये गी पार
आखिर में इस पर खतम हुई थी सारी बात
हम तो वोट देने चलें, सो बातों की एक बात
कहें कक्कू कवि समय काटने का अच्छा तरीका
होना तो वही है जो मतदान के मन है बसया
केवल कृष्ण सेठी
11 जनवरी 2022
Comments