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kewal sethi

गॉंव का अध्यापक

गॉंव का अध्यापक


हूँ भविष्य का निर्माता मैं

बस अपना भविष्य बनाता हूॅं

पढ़ाने लिखाने से क्या मतलब

बस रस्म अदायगी कर पाता हूँ

वेतन से ही मुझ को मतलब

अपनी योग्यता को भुनाने बैठा हूँ

मैं कहॉं पढ़ाने बैठा हूँ


फारम भरने से मुझ को फुरसत कहाॅं

जो मैं अपना थोड़ा ज्ञान बढ़ाऊॅं

सरकल आफिस के चक्कर में फंसा

इस से जान छूटे तो ध्यान लगाऊ

टलते रहते हैं मेरे वह सब मंसूबे

मैं तो बस समय बिताने बैठा हॅं

मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं


चुनाव आये वोटर लिस्ट बनाने की बारी है

जनगणना में मेरी बराबर की हिस्सेदारी है

सरपंच, विधायक, अफसर की आती सवारी है

इन सब को ही खुश रखने की लाचारी है

पढ़ाई को तो सब मानते गौण

सिर्फ छात्रों की गिन्ती दिखाने बैठा हूॅं

मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं


दोपहर का भोजन सब को खिलाना है

अभिभावक अध्यापक की सभा बुलाना है

सर्वशिक्षा अभियान की उपलब्धि दिखलाना हैं

फिर प्रशिक्षण हेतु भी तो जाना है

इन्हीं सब में वक्त गंवाने बैठा हूॅं

मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं


कहता है मुझ को गाॅंव का पटवारी

पढ़ लिख कर तुम ने क्या बाज़ी मारी

देखो चारों ओर फैली हुई है बेरोज़गारी

काम न आये गी आखिर विद्या तुम्हारी

फिर भी किस्मत आजमाने बैठा हूॅं

मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं


कलश पर रहती है सब की नज़र

भला कौन देखता है नींव के पत्थर

पर कुछ तो दे दूॅं अपने इन को गुर

शायद भविष्य इन का हो उज्जवल

इस लिये आस लगाये बैठा हू।

मैं इन्हें पढ़ाने बैठा हूॅ।


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