गॉंव का अध्यापक
हूँ भविष्य का निर्माता मैं
बस अपना भविष्य बनाता हूॅं
पढ़ाने लिखाने से क्या मतलब
बस रस्म अदायगी कर पाता हूँ
वेतन से ही मुझ को मतलब
अपनी योग्यता को भुनाने बैठा हूँ
मैं कहॉं पढ़ाने बैठा हूँ
फारम भरने से मुझ को फुरसत कहाॅं
जो मैं अपना थोड़ा ज्ञान बढ़ाऊॅं
सरकल आफिस के चक्कर में फंसा
इस से जान छूटे तो ध्यान लगाऊ
टलते रहते हैं मेरे वह सब मंसूबे
मैं तो बस समय बिताने बैठा हॅं
मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं
चुनाव आये वोटर लिस्ट बनाने की बारी है
जनगणना में मेरी बराबर की हिस्सेदारी है
सरपंच, विधायक, अफसर की आती सवारी है
इन सब को ही खुश रखने की लाचारी है
पढ़ाई को तो सब मानते गौण
सिर्फ छात्रों की गिन्ती दिखाने बैठा हूॅं
मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं
दोपहर का भोजन सब को खिलाना है
अभिभावक अध्यापक की सभा बुलाना है
सर्वशिक्षा अभियान की उपलब्धि दिखलाना हैं
फिर प्रशिक्षण हेतु भी तो जाना है
इन्हीं सब में वक्त गंवाने बैठा हूॅं
मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं
कहता है मुझ को गाॅंव का पटवारी
पढ़ लिख कर तुम ने क्या बाज़ी मारी
देखो चारों ओर फैली हुई है बेरोज़गारी
काम न आये गी आखिर विद्या तुम्हारी
फिर भी किस्मत आजमाने बैठा हूॅं
मैं कहाॅं पढ़ाने बैठा हूॅं
कलश पर रहती है सब की नज़र
भला कौन देखता है नींव के पत्थर
पर कुछ तो दे दूॅं अपने इन को गुर
शायद भविष्य इन का हो उज्जवल
इस लिये आस लगाये बैठा हू।
मैं इन्हें पढ़ाने बैठा हूॅ।
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